नगर मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में गठित हुई चार सदस्यीय समिति
फर्रुखाबाद। फतेहगढ़ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता जवाहर सिंह एक बार फिर प्रशासनिक घेरेबंदी के निशाने पर हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर उनके आवास की भूमि की जांच के आदेश जारी किए गए हैं। नगर मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है, जो मामले की पड़ताल कर रिपोर्ट देगी। सूत्रों का कहना है कि यह कार्रवाई उनके विरुद्ध दबाव बनाने की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है।
यह उल्लेखनीय है कि इससे पहले, तत्कालीन एसडीएम दीपाली भार्गव के कार्यकाल में भी जवाहर सिंह के मकान की नाप-जोख की जा चुकी है। उस समय न केवल निर्माण की विधिवत जांच हुई थी, बल्कि जो हिस्सा मानक से बाहर पाया गया था, उसे तोड़ा भी गया था। इसके बावजूद एक बार फिर उसी भूमि की जांच की प्रक्रिया शुरू करना कई सवाल खड़े करता है।
स्थानीय अधिवक्ताओं और जवाहर सिंह के समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण है और उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का प्रयास है। वे इसे एक ईमानदार अधिवक्ता और जनपक्षधर नेता की आवाज को दबाने की साजिश के तौर पर देख रहे हैं।
हालांकि अभी तक प्रशासन की ओर से इस विषय में कोई विस्तृत बयान नहीं आया है, लेकिन अधिवक्ताओं के बीच रोष स्पष्ट देखा जा सकता है। बार एसोसिएशन से जुड़े कुछ सदस्यों का कहना है कि अगर इस प्रकार की दोहराई गई कार्रवाई नहीं रोकी गई तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
नगर मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में गठित इस चार सदस्यीय जांच समिति में किन अधिकारियों को शामिल किया गया है, इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। पारदर्शिता की कमी और पूर्व में नपे हुए भवन की पुनः जांच को लेकर कई अधिवक्ताओं और स्थानीय नागरिकों में संदेह और असंतोष व्याप्त है।
जवाहर सिंह जिले में एक मुखर और प्रभावशाली अधिवक्ता के रूप में जाने जाते हैं। उनकी सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता से कुछ उच्चपदस्थ अधिकारी और राजनीतिक चेहरे असहज महसूस करते हैं। जानकारों की मानें तो यह जांच उन्हीं ताकतों के दबाव में की जा रही है जो उनकी लोकप्रियता और प्रभाव से चिंतित हैं।