– डीआईओएस नरेंद्र पाल सिंह ने अपने विशेष सहयोगी राजेश अग्निहोत्री को अचानक कार्यमुक्त किया
– साजिशों की कड़ी जुड़ी एसकेएम इंटर कॉलेज प्रकरण से
फर्रुखाबाद: एसकेएम इंटर कॉलेज की फर्जी मान्यता और उच्च न्यायालय को गुमराह करने के मामले में शातिर वकील व कॉलेज प्रबंधक अवधेश मिश्रा (lawyer Awadhesh Mishra) पर अब कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है। अवधेश के भ्रष्ट गठजोड़ और फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद अब तक उसके संरक्षण में रहे जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) नरेंद्र पाल सिंह भी सकते में हैं।
सूत्रों के अनुसार, अवधेश मिश्रा की प्रशासनिक पैठ कमजोर पड़ते ही डीआईओएस ने अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगी, वरिष्ठ लिपिक राजेश कुमार अग्निहोत्री को अचानक कार्यमुक्त कर दिया है। यह वही अग्निहोत्री हैं, जो जीआईसी फर्रुखाबाद में नियमित रूप से तैनात होने के बावजूद डीआईओएस कार्यालय में विशेष और गोपनीय कार्यों के लिए पिछले लंबे समय से नियुक्त थे।
जानकारी के मुताबिक, जिलाधिकारी की त्रिस्तरीय जांच रिपोर्ट और शासन स्तर पर कार्रवाई की सिफारिश के बाद जब मामला शासन से निदेशक माध्यमिक शिक्षा तक पहुंचा, तब अवधेश मिश्रा के पक्ष में भ्रामक रिपोर्ट भेजने का आरोप डीआईओएस नरेंद्र पाल सिंह पर भी लगा था। अब जब मामले की उच्चस्तरीय समीक्षा शुरू हुई, तो डीआईओएस ने खुद को बचाने के लिए अपने विशेष सहयोगी अग्निहोत्री को बलि का बकरा बना दिया।
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय द्वारा जारी पत्र (दिनांक 18 अक्टूबर 2025, पत्रांक: मा./वै./सहा./6977-78/2025-26) के अनुसार, राजेश कुमार अग्निहोत्री (प्रभारी, राजकीय इंटर कॉलेज फर्रुखाबाद)को निर्देश दिया गया है कि वे तत्काल अपने मूल विद्यालय में योगदान करें। यह आदेश, प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, कार्यालय की अंदरूनी साजिशों और चल रहे विवादों के दबाव में लिया गया निर्णय बताया जा रहा है।
अवधेश और डीआईओएस की मिलीभगत पर सवाल
शिक्षा विभाग के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि अवधेश मिश्रा और डीआईओएस के बीच लम्बे समय से लिपिक राजीव यादव और अग्निहोत्री की मध्यस्तता के चलते “लेन-देन और परस्पर संरक्षण” का रिश्ता रहा है। एसकेएम इंटर कॉलेज की संदिग्ध मान्यता और कोर्ट में फर्जी तथ्यों की पैरवी इसी गठजोड़ की देन थी।
अब जैसे-जैसे शासन स्तर पर कार्रवाई की संभावना बढ़ रही है, दोनों पक्षों में दूरी बढ़ती दिख रही है।
डीआईओएस द्वारा राजेश अग्निहोत्री को कार्यमुक्त किए जाने के बाद शिक्षा विभाग के गलियारों में चर्चा है कि यह कदम स्वयं को संभावित जांच से बचाने का प्रयास है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में शासन एसकेएम इंटर कॉलेज और डीआईओएस कार्यालय के बीच हुई फाइलगत प्रक्रियाओं की जांच विशेष टीम से करा सकता है।


