उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले चिकित्साधिकारी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। उनके इस निर्णय ने राज्य के स्वास्थ्य तंत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता की एक स्पष्ट मिसाल पेश की है।
मंत्री ने 7 चिकित्साधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने के निर्देश दिए हैं। इनमें अस्थि रोग विशेषज्ञ (जिला चिकित्सालय, झांसी), चिकित्साधिकारी (न्यू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बाजार शुक्ल, अमेठी), चिकित्साधिकारी (न्यू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जगदीशपुर, अमेठी), चिकित्साधिकारी (अधीन सीएमओ, बरेली), स्त्री रोग विशेषज्ञ और बाल रोग विशेषज्ञ (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मिश्रिख, सीतापुर), तथा पैथोलॉजिस्ट (जिला चिकित्सालय, हाथरस) शामिल हैं।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई उन अधिकारियों के खिलाफ है जिन्होंने लंबे समय तक अपने उत्तरदायित्व से विरत रहते हुए चिकित्सकीय ड्यूटी से अनुपस्थित रहकर गंभीर उल्लंघन किया।
इसके साथ ही हमीरपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी पर भी विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। उनका दोष यह पाया गया कि शासन द्वारा निर्धारित नियम और शर्तों का पालन किए बिना कई संस्थाओं से चिकित्सकीय सामग्री खरीदी गई। इसके लिए आरोप-पत्र जारी कर उनके खिलाफ कानूनी और विभागीय प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इसी तरह, राजकीय मेडिकल कॉलेज बदायूँ के ईएनटी विभाग के सहायक आचार्य जो वर्ष 2023 से बिना सूचना और अनाधिकृत रूप से लगातार अनुपस्थित थे, उनके खिलाफ भी आरोप-पत्र जारी कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग में इस तरह की सख्त कार्रवाई न केवल जवाबदेही को मजबूत करती है, बल्कि अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने कर्तव्यों के प्रति सतर्क रहने का संदेश भी देती है। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और जनता के भरोसे को बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य तंत्र में सुधार की दिशा में यह एक सकारात्मक संकेत है। जब उच्च पदस्थ अधिकारी और विशेषज्ञ अपने कर्तव्यों से विरत रहते हैं, तो उसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। ब्रजेश पाठक की यह कार्रवाई दर्शाती है कि अब स्वास्थ्य विभाग में ढिलाई और लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए यह कदम अत्यंत आवश्यक और सराहनीय है।