– भानपुरा में श्री कृष्णा चन्देल की सेवा निवृत्ति पर गुप्त नवरात्रि के अवसर पर हुआ धर्मोत्सव, शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानन्द तीर्थ ने दी आध्यात्मिक दृष्टि से गूढ़ व्याख्या
भानपुरा (म.प्र.): श्रीमद् देवीभागवत महापुराण कथा के पावन अवसर पर ज्योतिर्मठ, अवान्तर भानपुरा पीठ के पूज्यपाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानन्द तीर्थ जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को जीवन के गूढ़ सत्यों से अवगत कराते हुए कहा कि—
“कुपुत्र से न केवल कुल का नाश होता है, बल्कि उसके पैदा होते ही पूर्वजों का सुयश भी मिटने लगता है। ऐसे घरों में लोक और परलोक दोनों स्थानों पर नारकीय यातनाएं भोगनी पड़ती हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि नीतिकारों का मत है कि कुपुत्र से कुल नष्ट, कुभार्या से जीवन नष्ट, कुभोजन से दिन नष्ट और कुमित्र से मित्रता तथा सुख नष्ट हो जाता है। ऐसे में जीवन में विवेकपूर्वक संबंध और संगति का चुनाव आवश्यक है।
यह आध्यात्मिक आयोजन गुप्त नवरात्रि के पावन पर्व पर श्री कृष्णा चन्देल की शासकीय सेवा निवृत्ति के उपलक्ष्य में आद्य शंकराचार्य सांस्कृतिक भवन, रेवा तट, भानपुरा में आयोजित किया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु, गणमान्य नागरिक और चन्देल परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।
कथा में स्वामी सुन्दरानन्द जी, स्वामी विश्वेश्वरानन्द जी, स्वामी सदानन्द जी, स्वामी सत्यमित्रानन्द जी, स्वामी रामाश्रम जी, और स्वामी दिव्यानन्द जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
इस कार्यक्रम में कन्हैयालाल हूजूर, कौशल्या भवानी शंकर, पुत्रगण मयंक, आशीष चन्देल, भानपुरा के गणमान्य नागरिकों, बहनों-भाईयों, भतीजों, परिवारजनों एवं रिश्तेदारों के साथ-साथ जिला, प्रदेश तथा भारत के विभिन्न राज्यों से आए अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लेकर श्री कृष्णा चन्देल को सेवा निवृत्ति पर शुभकामनाएं दीं।
विशेष रूप से, उपस्थित श्रद्धालु युवाचार्य स्वामी वरुणेन्द्र तीर्थ जी से आशीर्वाद प्राप्त कर स्वयं को कृतार्थ मान रहे हैं।
यह आयोजन आध्यात्मिकता, संस्कृति और समाजिक समरसता का अनुपम संगम बन गया, जिसमें धर्म, सेवा और आत्मिक जागरण की त्रिवेणी प्रवाहित होती रही।