नई दिल्ली: : Supriya Lifescience Limited cGMP के अनुरूप कारोबार करने वाली कंपनी है, जिसका API निर्माण में ट्रैक-रिकॉर्ड बेहद दमदार रहा है, और यह एंटी-हिस्टामाइन, एंटी-एलर्जिक, विटामिन, एनेस्थेटिक और एंटी-अस्थमेटिक सहित चिकित्सा के अलग-अलग खंडों के लिए प्रोडक्ट्स तैयार करने पर विशेष ध्यान देती है। कंपनी ने आज वित्त-वर्ष 26 की पहली तिमाही के लिए बिना ऑडिट वाले वित्तीय विवरण जारी किए हैं। कंपनी का कारोबार दुनिया भर में 86 से अधिक देशों में फैला हुआ है।
वित्त-वर्ष 26 की पहली तिमाही में, सुप्रिया लाइफसाइंस लिमिटेड के रेवेन्यू में साल-दर-साल 9.7% की गिरावट दर्ज की गई और यह वित्त-वर्ष 25 की पहली तिमाही में 160.63 करोड़ रुपये की तुलना में 145.07 करोड़ रुपये रही। वित्त-वर्ष 26 की पहली तिमाही में EBITDA 51.70 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिसमें EBITDA मार्जिन 35.6% रहा, जबकि इसकी तुलना में वित्त-वर्ष 25 की पहली तिमाही में 38.9% के मार्जिन के साथ 62.54 करोड़ रुपये EBITDA दर्ज किया गया था।
वित्त-वर्ष 26 की पहली तिमाही के दौरान कर अदायगी के बाद लाभ (PAT) 34.79 करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त-वर्ष 25 की पहली तिमाही में यह 44.64 करोड़ रुपये था। वित्त-वर्ष 26 की पहली तिमाही के दौरान PAT मार्जिन 24.0% रहा, जो इसकी तुलना में वित्त-वर्ष 25 की पहली तिमाही के दौरान 27.8% था।
पहली तिमाही के दौरान रेवेन्यू के मामले में एनेस्थेटिक सेगमेंट सबसे आगे रहा, जिसने वित्त-वर्ष 25 की पहली तिमाही में 45% के मुक़ाबले रेवेन्यू में 53% का योगदान दिया। वित्त-वर्ष 26 की पहली तिमाही के दौरान हमारे व्यावसायिक राजस्व में यूरोपीय बाज़ारों का योगदान 41% रहा है, जो वित्त-वर्ष 25 की पहली तिमाही में 34% था।
वित्त-वर्ष 26 के दौरान उत्पादन क्षमता का उपयोग बढ़कर 76% हो गया, जो वित्त-वर्ष 25 में 70% था। आने वाले समय में अलग-अलग बिजनेस सेगमेंट को आगे बढ़ाने में सहायता करने के लिए, कंपनी ने अलग-अलग प्लांट्स के पास तीन अलग-अलग भूखंड खरीदे हैं। सुप्रिया लाइफसाइंस लिमिटेड के अध्यक्ष एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, डॉ. सतीश वाघ ने मौजूदा परिणामों के बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए कहा, “हमारी लोटे फैसिलिटी में ज़रूरी मरम्मत और रखरखाव की वजह से हमारी प्रोडक्शन फैसिलिटी कैंपेन में देरी हुई, जिसका असर कुछ समय के लिए हमारे तिमाही के नतीजों पर दिखाई दिया। ये अपग्रेड हमारे पुराने ब्लॉकों की कामकाजी क्षमता को बेहतर बनाने और आने वाले
प्रोडक्ट्स के लॉन्च के लिए मॉड्यूल E का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए बेहद ज़रूरी थे। रेवेन्यू में आई गिरावट के बावजूद, बेहतर बैकवर्ड इंटीग्रेशन और विनियमित बाज़ारों से बढ़े हुए योगदान की वजह से EBITDA मार्जिन 36% के मजबूत स्तर पर मजबूत बना रहा। चौथी तिमाही के दौरान अंबरनाथ साइट के व्यावसायिक उत्पादन की ओर आगे बढ़ने, वित्त-वर्ष 26 में 3-4 प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने की एक मज़बूत योजना और चिकित्सा के प्रमुख क्षेत्रों में अच्छी माँग को देखते हुए, हमें पूरी उम्मीद है कि पहली छमाही में हुई देरी की भरपाई दूसरी छमाही में हो जाएगी। हम वित्त-वर्ष 27 तक लगभग 20% की विकास दर के साथ-साथ 1,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल करने की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।”