सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा से रातभर पूछताछ और फिर सुबह के 4 बजे गिरफ्तारी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने इसे बेहद डरावना और चिंताजनक बताते हुए मामले की गंभीरता को रेखांकित किया। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि इस तरह के व्यवहार से न्याय व्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, लेकिन कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह दुर्व्यवहार टुटेजा की गिरफ्तारी को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता।
यह मामला उस समय का है जब टुटेजा को 2020 में गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने उन्हें रायपुर के एसीबी ऑफिस में समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया, जिसके बाद उन्हें ईडी ऑफिस ले जाकर पूरी रात पूछताछ की गई और फिर सुबह 4 बजे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस कड़ी पूछताछ और गिरफ्तारी के बाद, टुटेजा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए याचिका दायर की थी।
टुटेजा के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही 8 अप्रैल को टुटेजा की गिरफ्तारी का आदेश रद्द कर दिया था, लेकिन उसके बाद भी ईडी ने नया ईसीआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया। उनका कहना था कि यह गिरफ्तारी पूरी तरह से अवैध थी और टुटेजा को हिरासत में लेने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
ईडी की ओर से प्रस्तुत अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत को बताया कि इस तरह के मामलों से बचने के लिए ईडी ने सर्कुलर जारी किया है, जिसके तहत अब केवल अपरिहार्य परिस्थितियों में ही रात में पूछताछ की जाएगी। उन्होंने कहा कि कार्यालय के नियमित समय में ही पूछताछ की जानी चाहिए और देर रात इस तरह के मामलों से बचना चाहिए।
अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने टुटेजा को याचिका वापस लेने की अनुमति दी और कहा कि वह अपनी जमानत अर्जी ट्रायल कोर्ट में दाखिल कर सकते हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद, ईडी के रवैये पर सवाल उठाए गए हैं, जबकि ईडी ने अपनी प्रक्रिया में सुधार की बात कही है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न घटित हों।