शरद कटियार
जीवन एक सतत संघर्ष की यात्रा है, जिसमें हर व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कठिनाइयों से टकराता है। संघर्षों से निकली सफलता केवल मंज़िल तक पहुँचने का प्रमाण नहीं होती, बल्कि यह एक ऐसा अनुभव बन जाती है जो व्यक्ति के भीतर स्वाभिमान भर देती है, न कि अभिमान।
संघर्ष और सफलता का संबंध
संघर्ष वह प्रक्रिया है जो हमें भीतर से मज़बूत बनाती है। जब हम किसी कठिनाई, विपरीत परिस्थिति या चुनौतियों से लड़ते हुए अपने उद्देश्य तक पहुँचते हैं, तो वह सफलता हमारे लिए एक साधारण उपलब्धि नहीं रहती, बल्कि वह आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की नींव बनती है। ऐसे में व्यक्ति अपनी मेहनत और संघर्ष को जानता है, इसलिए वह सफलता का घमंड नहीं करता, बल्कि उसकी सादगी और विनम्रता और भी बढ़ जाती है।
स्वाभिमान वह भावना है जिसमें व्यक्ति अपनी मेहनत, मूल्यों और सिद्धांतों पर गर्व करता है, लेकिन दूसरों को नीचा नहीं दिखाता। जबकि अभिमान व्यक्ति को दूसरों से श्रेष्ठ समझने का भ्रम देता है। संघर्ष से प्राप्त की गई सफलता व्यक्ति को यह सिखाती है कि वह जहाँ पहुँचा है, वहाँ तक पहुँचने में कितनी बार उसने गिरकर उठने की ताक़त दिखाई है। यही अनुभव उसे विनम्र और ज़मीन से जुड़ा बनाता है।
संघर्ष हमें सिखाता है कि जीवन में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता। वह हमारे धैर्य, साहस और आत्मविश्वास की परीक्षा लेता है। जो लोग इन परीक्षाओं को पास करते हैं, वे न केवल अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं बल्कि एक आदर्श व्यक्तित्व भी विकसित करते हैं। ऐसे लोगों की सफलता समाज के लिए प्रेरणा बनती है, घमंड का कारण नहीं।
देश-विदेश में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ महान व्यक्तित्वों ने संघर्षों के लंबे दौर से गुज़रते हुए बड़ी सफलताएं अर्जित की हैं। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, महात्मा गांधी, बाबा साहेब अंबेडकर जैसे व्यक्तित्वों ने तमाम कठिनाइयों से लड़ते हुए अपने जीवन को एक मिसाल बना दिया। उनकी सफलता में कभी अहंकार नहीं दिखा, बल्कि विनम्रता और सेवा का भाव ही प्रबल रहा।
संघर्ष से टकराकर प्राप्त की गई सफलताएं हमें केवल लक्ष्यों तक नहीं पहुँचातीं, बल्कि हमारे भीतर एक सकारात्मक परिवर्तन लाती हैं। वे हमें सिखाती हैं कि सच्ची सफलता वह है जो स्वाभिमान तो पैदा करे, लेकिन अभिमान नहीं। यही भावना हमें एक बेहतर इंसान बनाती है और समाज के लिए प्रेरणा स्रोत भी।