लखनऊ: डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) एवं एरा फाउंडेशन की ओर से सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज में कलाम उदभ्व प्रोजेक्ट एक्स्पो (Kalam Udbhavam Project Expo) का आयोजन किया गया। इसमें सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज के बीटेक प्रथम वर्ष के छात्रों की 33 टीम ने शहर की विभिन्न समस्याओं के समाधान देने वाले 30 मॉडल प्रस्तुत किये। इसमें किसी ने ई कचरा के निस्तारण का समाधान दिया तो किसी टीम ने रसोईं से निकलने वाले कचरे से बायोगैस बनाने का मॉडल प्रस्तुत किया। इन मॉडलों का कुलपति प्रो0 जे.पी पाण्डेय ने बारीकी से अवलोकन किया। छात्रों से उनके मॉडल की जानकारी ली। साथ ही छात्रों के बनाये नवाचार को आगे ले जाने के लिए प्रेरित किया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा के डीएनए में नवाचार होना चाहिए। तकनीकी छात्र नवाचार के जरिये न केवल रोजगार प्राप्त करेगा। बल्कि रोजगार के अवसर भी बनायेगा। वह नौकरी देने वाला बनेगा। कहा कि बीटेक प्रथम वर्ष के छात्रों का इस तरह नवाचार के प्रति रूझान काफी अच्छा है। ये छात्र भविष्य में सामाजिक समस्याओं को दूर करने में अपना योगदान देंगे। साथ ही तकनीकी और उद्योगों को नया आकार देने का काम करेंगे।
इस मौके पर अधिष्ठाता ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट प्रो0 नीलम श्रीवास्तव, निदेशक सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज प्रो0 वीरेंद्र पाठक, डीन इनोवेशन प्रो0 बीएन मिश्रा, एसो0 डीन इनोवेशन डॉ0 अनुज कुमार शर्मा सहित एरा फाउंडेशन सी ई ओ मुरलीधर, डॉ रमेश, सचिन आदि विशेषज्ञ मौजूद रहे। इस दौरान सभी मॉडल का विशेषज्ञों ने मूल्यांकन किया। साथ ही विजेता टीम को पुरस्कृत किया गया।
डिवाइस बतायेगी डस्टबिन भर गया
सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज के बीटेक प्रथम वर्ष के छात्रों की टीम ने एक ऐसे डिवाइस का मॉडल प्रस्तुत किया जो डस्टबिन पर लगाया जाएगा। डस्टबिन के 80 प्रतिशत भर जाने पर यह डिवाइस सीधे नगर निगम टीम को मैसेज कर देगी। जिससे कूड़ा समय पर उठा लिया जाएगा। साथ ही यह डिवाइस मोबाइल से भी कनेक्ट हो सकेगी। कुलपति प्रो0 जेपी पाण्डेय ने इस डिवाइस को विश्वविद्यालय के डस्टबिन में लगाने का भी निर्देश दिया। साथ ही छात्रों के इस प्रयास को काफी सराहा।
इसके अलावा प्रदर्शनी में छात्रों की एक टीम ने रसोईं से निकलने वाले कूड़े से बायो गैस बनाने वाले मॉडल को प्रस्तुत किया। सेंसरयुक्त यह डस्टबिन सिर्फ गीला कूड़ा और बायोगैस देने वाले कूड़े पर ही खुलेगी। जिससे यह कूड़ा सीधे डस्टबिन में जायेगा। ताकि उससे बायोगैस बनायी जा सके। इसी तरह एक टीम ने घर की छतों पर गार्डेन का मॉडल प्रस्तुत किया।


