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Monday, September 8, 2025

मायावती की सरकार के कई फैसलों पर कड़ी आलोचना, रेल किराए में वृद्धि एक व्यापारिक सोच

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लखनऊ: मायावती (Mayawati) ने सरकार (government) के कई फैसलों पर कड़ी आलोचना व्यक्त की है। उन्होने सरकार द्वारा रेल किराए (train fares) में वृद्धि को जनहित के बजाए सरकार की एक व्यापारिक सोच कहा है। मायावती ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बातें कही उससे बिल्कुल साफ है कि वे सरकार के कई फैसलों पर असंतुष्ट हैं और वह इन फैसलों की कड़ी आलोचना करती हैं। उनका मुख्य फोकस गरीबों, मजदूरों और सामान्य जनता की मुश्किलों पर है, जिनका जीवन महंगाई, बेरोजगारी और अन्य आर्थिक समस्याओं के कारण कठिन हो गया है।

मायावती ने केंद्र सरकार की रेल किराए में वृद्धि, प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर गरीबों की मुश्किलें बढ़ाने और सार्वजनिक सेवाओं की असुविधाओं पर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा, उन्होंने गरीबों की बेघर करने की प्रक्रिया और उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की कमी पर भी चिंता जताई है। मायावती का कहना है कि देश के अधिकांश लोग जब जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व कमाई घटने आदि की हर दिन की भूख-प्यास तथा गरीबी की तंगी के त्रस्त जीवन की मार से अति-पीड़ित और दुखी हैं।

तो ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा देश में रेल का किराया बढाना भी कुल मिलाकर आम जनहित के विरुद्ध व संविधान के कल्याणकारी उद्देश्य के बजाय व्यावसायिक सोच वाला फैसला ज्यादा लगता है, साथ ही, सरकार द्वारा राष्ट्र प्रथम के नाम पर आमजन का जीएसटी की तरह ही रेलवे के माध्यम से भी दैनिक जीवन पर बोझ बढ़ाकर उनका शोषण बढ़ाने की यह परम्परा घोर अनुचित है जिस पर सरकार अगर तुरन्त पुनर्विचार करे तो यह उचित होगा। वैसे भी इस समय देश में बढ़ती गरीबी, मंहगाई व सम्मानजनक स्थायी रोजगार के घोर अभाव में परिवार को पालने के लिए अपना घरबार आदि छोड़कर पलायन करने की मजबूरी आदि के कारण यहाँ के करोड़ों लोगों के लिए यह रेल का सफर कोई फैशन, आनन्द व पर्यटन नहीं है।

बल्कि रेल का अति-कष्टदायी सफर यह आम जरूरत व मजबूरी है, जिसके तहत् सरकार को इनके प्रति व्यापारिक नहीं बल्कि सहानुभूति का कल्याणकारी बर्ताव जरूर करना चाहिए, ऐसी सभी की इनसे हमेशा अपेक्षा रहती है। इसलिए सरकार को केवल अपने फायदे में व उससे मुट्ठी भर अमीर व सम्पन्न लोगों की चिन्ता करते रहने के बजाय, देश के उन करोड़ों लोगों की समुचित चिन्ता करनी चाहिए जो रोजगार के अभाव में आत्म-सम्मान का जीवन जीने को तरस रहे हैं।
सरकार को अपनी नीतियों में गरीबों और मजदूरों के लिए सहानुभूति का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और उनके कल्याण के लिए काम करना चाहिए।

इसके अलावा, उन्होंने महंगाई, बिजली की कमी, और सरकारी योजनाओं के लाभ को लेकर भी सवाल उठाए हैं, खासकर दिल्ली और यूपी जैसे राज्यों में।उनका यह भी कहना है कि गरीबों और मजदूरों के लिए कामकाजी परिस्थितियाँ और जीवन स्तर सुधारने के लिए सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

मायावती का कहना है कि उनकी यह प्रेस कॉन्फ्रेंस समाज के उन वर्गों की आवाज को उठाती है, जो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में सरकार की नीतियों से प्रभावित हो रहे हैं। जैसा कि यह विदित है कि सरकार इस समस्या का भी संतोषजनक समाधान जितना जल्दी निकाल ले तो वह उतना देशहित में बेहतर होगा। अब मैं अन्त में अपनी बात यहीं समाप्त करती हूँ।

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