राज्य चुनाव आयोग को फटकार – “ईवीएम की कमी, बोर्ड परीक्षाएं और कर्मचारियों की दिक्कत सिर्फ बहाने, प्रशासनिक ढिलाई बर्दाश्तनहीं”*
नई दिल्ली: Supreme Court ने मंगलवार को महाराष्ट्र के सभी स्थानीय निकायों के चुनाव (local body elections) कराने की अंतिम समय सीमा 31 जनवरी 2026 तय कर दी है। अदालत ने साफ कहा कि यह आखिरी मौका है और अब राज्य सरकार या राज्य चुनाव आयोग (SEC) को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग को जमकर फटकार लगाई और कहा कि अब तक आयोग ने अदालत के निर्देशों का समय पर पालन नहीं।
राज्य चुनाव आयोग की ओर से चुनाव न कराने के लिए कई कारण गिनाए गए थे। बोर्ड परीक्षाओं के चलते स्कूल परिसर की उपलब्धता न होना। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी तर्कों को खारिज कर दिया और कहा कि यह सब प्रशासनिक ढिलाई का नतीजा है।
पीठ ने टिप्पणी की:
“हम यह देखने के लिए बाध्य हैं कि राज्य निर्वाचन आयोग निर्धारित समय-सीमा में इस न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने में विफल रहा है।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि बोर्ड परीक्षाएं मार्च 2026 में ही निर्धारित हैं, इसलिए वे जनवरी 2026 तक होने वाले चुनावों में किसी भी तरह की बाधा नहीं बन सकतीं। इस आधार पर चुनाव टालना किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता। सभी जिला परिषदों, पंचायत समितियों और नगर पालिकाओं के चुनाव 31 जनवरी 2026 तक पूरे किए जाएं। कोई नया विस्तार नहीं दिया जाएगा।
यदि किसी लॉजिस्टिक सहायता की आवश्यकता हो तो 31 अक्टूबर 2025 तक राज्य चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट से संपर्क कर सकता है। इसके बाद किसी भी प्रकार की याचना या देरी पर विचार नहीं किया जाएगा। महाराष्ट्र में कई जिलों की परिषदों और नगरपालिकाओं का कार्यकाल लंबे समय पहले ही खत्म हो चुका है, लेकिन चुनाव बार-बार टलते रहे हैं। इससे राजनीतिक असमंजस और प्रशासनिक शून्यता की स्थिति बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा आदेश के बाद अब महाराष्ट्र सरकार और राज्य चुनाव आयोग के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्हें हर हाल में 31 जनवरी 2026 तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करनी होगी, वरना इसे सीधे तौर पर अदालत की अवमानना माना जाएगा।


