36.8 C
Lucknow
Friday, June 27, 2025

श्री रामनगरिया मेला : अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार के कारण मेला इस वर्ष हो गया फ्लॉप

Must read

यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। श्री रामनगरिया मेला, जो वर्षों से धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का आयोजन माना जाता रहा है, इस बार अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के कारण लोगों में नकारात्मक भावना देखने को मिली। कई वर्षों बाद यह पहली बार हुआ है जब संभ्रांत वर्ग के लोग, जिनका मेला में प्रमुख स्थान रहा है, ने इस बार मेला से दूरी बना ली। विधायक, सांसद और धार्मिक संत भी मेला स्थल पर नहीं पहुंचे, जिसके चलते सरकार की किरकिरी हो रही है।
इस साल मेला आयोजन के दौरान अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की समस्याओं ने आयोजन को पूरी तरह से प्रभावित किया। सड़कें जाम, सफाई व्यवस्था का अभाव, और मेला क्षेत्र में अशांति और हिंसा की घटनाओं ने लोगों को निराश और असंतुष्ट कर दिया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण मेला स्थल पर भीड़ का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया गया, जिसके कारण लोगों ने मेले से दूरी बनाई।
इसके अलावा, घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप भी उठे, जिनमें आयोजन के लिए स्वीकृत धन का दुरुपयोग और रिश्वतखोरी की बातें सामने आईं। स्थानीय व्यापारियों और आम जनता ने इस व्यवस्था पर गहरी आपत्ति जताई, और उन्हें यह महसूस हुआ कि सरकार की ध्यान न देने की नीति ने आयोजन को हतोत्साहित कर दिया है। पारंपरिक रूप से मेला आयोजन में स्थानीय विधायक और सांसद का अहम योगदान होता रहा है, लेकिन इस बार विधायक और सांसद ही दूर रहे।सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी तो उद्घाटन से अब तक मेले की तरफ देखने तक नहीं पहुंचे।उनके इस कदम से आयोजन की प्रासंगिकता पर सवाल उठने लगे हैं। माना जा रहा है कि उनकी अनुपस्थिति ने आयोजन के महत्व को कम कर दिया और जनता में प्रशासन और सरकार के प्रति नाराजगी को और बढ़ा दिया।
मेला आयोजन के धार्मिक पहलू से जुड़ी एक बड़ी बात यह है कि इस बार कई प्रमुख संतों और महात्माओं ने भी मेला स्थल पर पहुंचने से परहेज किया। संतों का कहना है कि इस आयोजन में होने वाली अव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही उनके धार्मिक कर्तव्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों के विपरीत हैं। वे मानते हैं कि मेले का उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना था, लेकिन प्रशासन की खामियों के कारण वह उद्देश्य पूरा नहीं हो सका।
समाज के विभिन्न वर्गों से मिल रही नाराजगी और असंतोष से यह साफ है कि सरकार की छवि पर बुरा असर पड़ा है। आयोजनों में प्रशासन की भूमिका और गंभीरता के प्रति सरकार की नाकामी को लेकर विपक्षी दलों ने भी कड़ी आलोचना की है।
मेला आयोजन के बावजूद लोग उत्साहित नहीं हैं, और इसके चलते यह मेला सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह गया है।
इस वर्ष का श्री रामनगरिया मेला न केवल अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के कारण अपनी छवि खो चुका है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार और प्रशासन द्वारा की गई लापरवाही ने आयोजन को नाकाम कर दिया है। मेला एक अवसर था धार्मिक और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने का, लेकिन गलत नीतियों और भ्रष्टाचार ने उसे बर्बाद कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम से यह बात स्पष्ट होती है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार को इस मुद्दे पर गंभीर कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में इस प्रकार की अव्यवस्था और निराशा का सामना न करना पड़े।

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article