सीतापुर। समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आजम खां तकरीबन 23 महीने बाद मंगलवार को जेल से रिहा हो गए। रिहाई के बाद उनका अंदाज वही पुराना रहा—सफेद कुर्ता-पायजामा, सदरी और काले चश्मे के साथ मीडिया और समर्थकों के बीच पहुंचे। लेकिन उनके बयान ने सियासी गलियारों में नई हलचल मचा दी है।
बसपा में शामिल होने की अटकलों पर आजम खां ने न तो साफ इनकार किया और न ही हां कहा। उन्होंने तटस्थ रवैया अपनाते हुए कहा कि “यह तो वही लोग बताएंगे जो ऐसी अटकलें लगा रहे हैं।” उनका यह रवैया सपा खेमे में बेचैनी और दूसरी पार्टियों में उम्मीद दोनों को बढ़ा गया है।
आजम खां ने मीडिया से बातचीत में जेल के दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि “पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है।” शायराना अंदाज में दिए गए इस जवाब ने उनके पुराने तेवर की झलक दी। उन्होंने यह भी कहा कि जेल में उन्हें किसी से मिलने की इजाजत नहीं थी और न ही फोन कॉल का हक।
इस बीच, उनकी पत्नी तंजीन फात्मा की बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की चर्चाओं और अक्तूबर में बसपा की बड़ी रैली की तैयारियों ने कयासों को और हवा दी है। कहा जा रहा है कि अगर हालात अनुकूल रहे तो आजम खां उस मंच से बसपा में शामिल हो सकते हैं।
हालांकि, सपा के नेताओं ने इन अटकलों को खारिज किया। सांसद रुचि वीरा ने कहा कि “आजम खां ने सपा को खून-पसीने से सींचा है। किसी और दल में जाने की बातें भाजपा की सियासी साजिश हैं।” वहीं, पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि सभी मुकदमे झूठे हैं और वह पूरी तरह बरी होंगे।
दूसरी ओर, एआईएमआईएम ने भी प्रतिक्रिया दी। पार्टी के महानगर अध्यक्ष वकी रशीद ने कहा कि आजम खां की रिहाई इंसाफ की जीत है, लेकिन इसमें अखिलेश यादव की कोई भूमिका नहीं रही। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश और भाजपा दोनों नहीं चाहते कि आजम पार्टी में बराबरी से खड़े हों।
प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार ने कहा कि आजम खां की रिहाई का प्रदेश की राजनीति या आगामी विधानसभा चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने याद दिलाया कि 2017 में आजम जेल में नहीं थे, फिर भी सपा चुनाव हार गई थी।
आजम खां की चुप्पी और उनके इशारे सियासी दलों के लिए सवाल छोड़ गए हैं। अब सबकी नजर उनके अगले कदम पर टिकी है।