-सुरक्षा के गढ़ में चोरी की वारदात, महकमे में मचा हड़कंप
फर्रुखाबाद: जिस पुलिस लाइन को सुरक्षा, अनुशासन और विश्वास का प्रतीक माना जाता है, वहीं से राइफल और नकदी की चोरी ने पूरे पुलिस तंत्र की जड़ें हिला दी हैं। पीएसी कैंप से एसएलआर राइफल और 67,000 रुपये चोरी हो गए, और हैरानी की बात ये है कि ये वारदात वहीं हुई जहाँ हर कोने में सीसीटीवी कैमरे हैं और चौबीसों घंटे गार्द तैनात रहती है।
इस मामले में प्लाटून कमांडर सुबोध कुमार ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है, लेकिन पुलिस की आंतरिक जांच की दिशा खुद उसके जवानों की ओर घूम रही है। ड्यूटी पर तैनात गार्ड और कैंप के अन्य जवान संदिग्ध माने जा रहे हैं, यानी शक की सुई अब सीधे खाकी पर टिक गई है।
चोरी की यह घटना महज़ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि पुलिस व्यवस्था की भीतरी लापरवाही और भ्रष्टाचार का जीवंत उदाहरण बन गई है। वर्षों से जिन जवानों के कंधों पर हथियारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, उन्हीं की निगरानी में राइफल गायब हो गई।
सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, लेकिन अब तक किसी भी संदिग्ध की पहचान नहीं हो सकी है। पुलिस लाइन जैसे उच्च सुरक्षा क्षेत्र में इस तरह की सेंध पूरे सिस्टम की पोल खोलने के लिए काफी है।
अब सवाल ये उठता है…
पुलिस अपने ही परिसर की सुरक्षा नहीं कर पा रही, तो आम जनता का क्या होगा?
क्या गार्द ड्यूटी पर लगे जवानों पर कार्रवाई से ही जिम्मेदारी पूरी हो जाएगी?
क्या असली दोषियों तक पहुंचा जाएगा या फिर लीपापोती होगी?
यह सिर्फ राइफल और पैसे की चोरी नहीं, यह पुलिस लाइन में फैले अनुशासनहीनता और अंदरूनी गड़बड़ियों का खुलासा है। अगर इस घटना को महज एक चोरी समझ कर छोड़ दिया गया, तो भविष्य में इसके और गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
पुलिस लाइन की दीवारें खामोश हैं… पर सवाल बहुत कुछ कह रहे हैं।
क्या पुलिस खुद के भीतर के अपराध से निपटने के लिए तैयार है?
फर्रुखाबाद का यह मामला अब सिर्फ एक चोरी नहीं, एक सिस्टमिक फेल्योर बनता जा रहा है।


