लोग अपनी मां के नाम पर भर रहे सीता, कौशल्या और सुमित्रा; संत समाज ने भी अपनाई परंपरा
डॉ. राम विलास दास वेदांती ने की पहल
अयोध्या: प्रदेशभर में चल रहे SIR (विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण) अभियान के बीच अयोध्या (Ayodhya) में एक अनोखी पहल सामने आई है। यहां कई लोग अब SIR फॉर्म में अपनी मां के नाम वाले कॉलम में सीता, कौशल्या और सुमित्रा जैसे पौराणिक नाम लिख रहे हैं। यह शुरुआत प्रसिद्ध संत डॉ. राम विलास दास वेदांती ने की, जिसके बाद बड़ी संख्या में साधु-संतों और स्थानीय नागरिकों ने भी इसी परंपरा को अपनाना शुरू कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, अयोध्या में SIR फॉर्म भरते समय संत समाज ने सुझाव दिया कि मातृशक्ति के सम्मान में मां के नाम वाले कॉलम में भगवान श्रीराम की माताओं—माता कौशल्या, माता सुमित्रा और भगवान राम की अर्धांगिनी माता सीता—का नाम लिखा जाए। सबसे पहले यह कदम डॉ. राम विलास दास वेदांती ने उठाया, जिसके बाद अन्य संतों ने भी फॉर्म इसी पैटर्न पर भरना शुरू कर दिया।
अयोध्या के कई मठों और आश्रमों में साधु-संतों ने SIR फॉर्म भरते समय अपनी माताओं के स्थान पर सीता, कौशल्या और सुमित्रा का नाम लिखकर धार्मिक आस्था का स्वरूप दिया है। स्थानीय नागरिक भी इसे एक सांस्कृतिक-अध्यात्मिक भाव के रूप में देख रहे हैं और कुछ लोगों ने इसे अपनाना शुरू कर दिया है।
इस पहल को लेकर अयोध्या में चर्चा तेज है। कुछ लोग इसे धार्मिक आस्था का सम्मान मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे SIR फॉर्म की मूल प्रक्रिया में बदलाव जैसा भी देख रहे हैं।
हालांकि, संत समाज का कहना है कि यह किसी को बाध्य नहीं करता, बल्कि एक भावनात्मक पहल है जिसका उद्देश्य मातृशक्ति और अयोध्या की धार्मिक परंपरा का सम्मान करना है। SIR प्रक्रिया निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार चलती है। फॉर्म में मां का वास्तविक नाम लिखना अनिवार्य माना जाता है, ऐसे में यह पहल प्रशासनिक दृष्टि से कितना स्वीकार्य है—इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।


