शिक्षकों के संघर्ष को सफलता, सीएम योगी ने टीईटी अनिवार्यता पर लिया बड़ा निर्णय

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फर्रुखाबाद। सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदेश के शिक्षकों के लिए टीईटीको अनिवार्य करने के आदेश पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महत्वपूर्ण रुख अपनाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को इस आदेश के खिलाफ रिवीजन दाखिल करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि वर्षों से प्रदेश के विद्यालयों में सेवा दे रहे शिक्षक अनुभवी और दक्ष हैं। उनके ज्ञान और अनुभव पर संदेह करना अनुचित है। राज्य सरकार समय-समय पर शिक्षकों को प्रशिक्षण देती रही है, जिससे उनकी कार्यकुशलता और क्षमता में निरंतर वृद्धि होती रही है।मुख्यमंत्री के इस निर्णय ने उन लाखों शिक्षकों को राहत दी है, जो लंबे समय से इस आदेश के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे थे। शिक्षक संगठन लगातार आंदोलन कर रहे थे और अपनी मांगों को लेकर जिला अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार तक ज्ञापन भेजते रहे। शिक्षकों का कहना था कि टीईटी की अनिवार्यता उनकी दशकों की मेहनत और सेवा को नज़रअंदाज़ करने जैसा कदम है।जिले में भी शिक्षक संगठनों ने मुख्यमंत्री योगी के इस फैसले का स्वागत किया और कृतज्ञता जताई।
यूटा के जिला अध्यक्ष पीयूष कटियार ने कहा हम कई दिनों से आंदोलन कर रहे थे, जगह जगह ज्ञापन देकर अपनी बात सरकार तक पहुंचा रहे थे। आज मुख्यमंत्री ने हमारी भावनाओं का सम्मान करते हुए बड़ा कदम उठाया है। यह हमारे आत्मसम्मान की रक्षा करने वाला फैसला है।प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष भूपेश पाठक ने कहा शिक्षक समाज हमेशा शिक्षा को सर्वोपरि मानता है। लेकिन हमें अपनी योग्यता बार बार साबित करने के लिए मजबूर करना हमारे योगदान का अपमान था। मुख्यमंत्री ने हमारी पीड़ा को समझा, इसके लिए हम आभारी हैं।शिक्षक नेता डॉ. वीरेंद्र त्रिवेदी ने कहा आंदोलन के दौरान हमने कई बार जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ज्ञापन भेजे। सरकार तक हमारी आवाज़ पहुंची और आज मुख्यमंत्री का निर्णय इसका परिणाम है। यह शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक समाज दोनों के लिए ऐतिहासिक क्षण है।वहीं शिक्षक नेता प्रवेश कटियार ने कहा यह फैसला न सिर्फ हमारे अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि शिक्षक समाज में भरोसा और आत्मबल भी बढ़ाता है। अब हम पूरे मनोयोग से बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।शिक्षक संगठनों का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम न केवल उनके संघर्ष को सफल बनाता है बल्कि शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक समाज के बीच विश्वास की डोर को और मजबूत करता है। यह निर्णय प्रदेश के शिक्षा तंत्र को नई ऊर्जा और स्थिरता प्रदान करेगा।

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