प्रशांत कटियार
शिक्षक दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के नौ लाख शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा देने की घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने भरोसा दिलाया कि आगे चलकर शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और रसोइयों को भी इस सुविधा का लाभ दिया जाएगा। साथ ही शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के मानदेय में वृद्धि के संकेत भी दिए।
यह घोषणा निस्संदेह शिक्षक समाज के लिए राहत देने वाली है। लंबे समय से शिक्षक वर्ग अपनी समस्याओं को लेकर आवाज़ उठाता रहा है। शिक्षामित्र मानदेय वृद्धि की मांग को लेकर कई बार धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। अनुदेशक भी लगातार अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि रसोइयों को उनके श्रम के अनुरूप सम्मानजनक पारिश्रमिक की अपेक्षा रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री की ओर से किया गया यह ऐलान उम्मीद जगाने वाला है।
कैशलेस चिकित्सा सुविधा एक सकारात्मक कदम है, पर इसकी सफलता का आकलन तभी होगा जब यह योजनाएँ पूरी पारदर्शिता और सुचारु व्यवस्था के साथ ज़मीन पर उतरें। प्रदेश में पहले भी कई जनकल्याणकारी योजनाएँ शुरू हुई हैं, लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों की सीमित व्यवस्थाओं ने उनकी गति को प्रभावित किया। यही वजह है कि इस योजना की कार्यान्वयन प्रक्रिया पर सबकी निगाहें रहेंगी।
जहाँ तक मानदेय वृद्धि का प्रश्न है, यह शिक्षक समाज की पुरानी मांग रही है। सरकार ने इसके लिए कमेटी गठित कर दी है, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की दिशा तय होगी। शिक्षक वर्ग को भरोसा है कि इस बार उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप ठोस निर्णय होगा।
फिलहाल यह कहना उचित होगा कि शिक्षक दिवस पर किए गए ये ऐलान शिक्षक समाज के लिए नई आशा लेकर आए हैं। अब सबसे अहम प्रश्न यह है कि इन घोषणाओं को कितनी जल्दी और किस प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा। यही असली परीक्षा होगी, जिससे यह तय होगा कि शिक्षक वर्ग को वास्तव में लाभ कब और किस रूप में मिलेगा।