– हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के एक आवेदन को किया गया खारिज, 18 जुलाई को अगली सुनवाई
मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह विवाद से जुड़ा मामला एक बार फिर चर्चा में है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में शुक्रवार को हुई सुनवाई में कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आए। हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह को विवादित स्थल घोषित करने की याचिका अदालत ने खारिज कर दी। वहीं, श्रीकृष्ण वंश और माता रुक्मिणी के संरक्षण से संबंधित दो नए आवेदनों पर शाही ईदगाह कमेटी ने आपत्ति जताई है।
वृंदावन के कथावाचक और जन्मभूमि केस के वाद संख्या-7 के पक्षकार कौशल किशोर ठाकुर ने अदालत में दलील दी कि श्रीकृष्ण की जन्मभूमि का गर्भगृह उनके वंशजों की पवित्र विरासत है। उन्होंने कहा कि इस स्थान पर बनी ईदगाह अवैध कब्जा है और इसे हटाना धर्मशास्त्र एवं इतिहास की रक्षा के लिए आवश्यक है।
कौशल किशोर ठाकुर ने यह भी तर्क दिया कि श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी के वंशज आज भी भारत के कई हिस्सों में विद्यमान हैं, जैसे करौली, जैसलमेर (राजस्थान), जामनगर (गुजरात), गभाना, लभौआ, बछेड़ा (उत्तर प्रदेश) आदि। उन्होंने जादौन, जडेजा, भाटी, रावल, छौंकर जैसे राजघरानों को श्रीकृष्ण वंश का हिस्सा बताया।
नीतू सिंह चौहान का आवेदन
हरसरू (गुरुग्राम) निवासी और सनातन धर्म रक्षापीठ की महामंत्री नीतू सिंह चौहान ने भी एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है जिसमें माता रुक्मिणी को वाद में पक्षकार बनाने की मांग की गई है। उनका कहना है कि यह याचिका भारतीय इतिहास और धर्मग्रंथों के आधार पर यदुकुल की विरासत की रक्षा के लिए डाली गई है।
शाही ईदगाह कमेटी की आपत्ति
शाही ईदगाह कमेटी ने इन दोनों आवेदनों पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि इन दलीलों का वर्तमान कानूनी विवाद से कोई सीधा संबंध नहीं है। अदालत ने फिलहाल इन आपत्तियों को रिकॉर्ड पर लिया है, और अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी, जिसमें ईदगाह पक्ष के अधिवक्ता अपना विस्तृत जवाब पेश करेंगे।
मथुरा का यह ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील मामला अब और भी जटिल होता जा रहा है। जहां एक ओर हिंदू पक्ष इसे धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का मामला बता रहा है, वहीं मुस्लिम पक्ष इसे कानूनी अधिकारों से जोड़कर देख रहा है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि 18 जुलाई को अदालत इन नई आपत्तियों और दलीलों पर क्या रुख अपनाती है।