अनुज मिश्र (स्वतंत्र विचारक) शाहजहांपुर
त्याग और बलिदान की धरती को क्रांतिकारी की धरा कहा जाता है। बहुत ही साधारण गांव में जन्मे एक ऐसे मुस्लिम युवा की बात कर रहा हूं जो इंसानियत को जिंदा रखने के लिए सदैव अच्छे कार्य करता है।
जनपद शाहजहांपुर में एक तहसील पुवायां है जिसके अंतर्गत एक गांव दिवाली पड़ता है।इस गांव में मामूली से खेती करने वाले एक साधारण किसान नबाबू हैं। नवाबू के पास मात्र 15 बीघा खेत है और उनके तीन बच्चे हैं। वह कठिन परिश्रम करके बच्चों को समाज सेवा का भाव भरते हैं।
नवाबू का सबसे बड़ा बेटा शोएब है जो की इस समय फिल्मी दुनिया मुंबई में रहकर अपना सैलून चलाते हैं। आजकल जब लोग गाय माता को सड़कों पर छोड़ रहे हैं तब शोएब और उनके पिता पूरी निष्ठा के साथ गायों की सेवा करते हैं। एक बार किसी ने छप्पर में आग लगा दी जिसके कारण गाय जल गई थी परंतु उन्होंने उन गांयों को रोड पर नहीं छोड़ा बल्कि 15 हजार से लेकर ₹20 हजार तक का तेल मुंबई से भेजा और गायों की सेवा की थी।
सब का कहना है की गए सभी की माता है इसमें जाति और धर्म नहीं देखना चाहिए क्योंकि चांद एक है सूर्य एक है पृथ्वी एक है तब इंसानियत भी एक जैसी रहनी चाहिए।शोएब कभी बंदरों को बिस्किट खिलाते तो कभी गरीब कन्याओं की मदद करते हैं क्योंकि सब का कहना है की सभी धर्म का सार एक ही है।
मूलतः शाहजहांपुर जनपद के रहने वाले हैं परंतु इस समय वह माया नगरी मुंबई में रह रहे हैं। शाहजहांपुर की धरती हमेशा से ही एकता की मिसाल रही चाहे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाकउल्ला खान की जोड़ी को ही देख लीजिए।
बातों बातों में जब मैं पूछ लिया कि आप तो मुस्लिम है फिर भी बंदरो से इतना प्रेम क्यों है तो उनका सीधा कहना कि इंसानियत सबसे ऊपर होती है। अपने घर परिवार को तो हर कोई खिलाता है लेकिन जीव जंतुओं से भी प्रेम स्नेह करना इंसानियत है और हर धर्म में केवल यही लिखा है कि मनुष्य के अंदर इंसानियत होनी चाहिए।यह है हिंदुस्तान की खूबसूरती का राज ।