बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के थानेदार वरुण शर्मा (SHO Varun Sharma) को हाल ही में अपने कर्तव्य में लापरवाही और संवेदनहीन रवैये के चलते पद से हटाया गया। आरोप है कि उन्होंने न तो भाजपा विधायक (BJP MLA) का फोन रिसीव किया और न ही एक पीड़ित महिला की शिकायत को गंभीरता से सुना। मामला तूल पकड़ते हुए विधानसभा तक पहुंच गया, जिसके बाद प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी।
जानकारी के अनुसार, भाजपा विधायक ने एक मामले को लेकर वरुण शर्मा से संपर्क करना चाहा, लेकिन उन्होंने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा। यही नहीं, थाना क्षेत्र में आई एक महिला पीड़िता की शिकायत को भी अनसुना कर दिया। यह लापरवाही सीधे तौर पर पीड़ित पक्ष के लिए भारी साबित हुई और मामला राजनीति के गलियारों तक गूंज गया।
विधानसभा में उठा मुद्दा, तुरंत कार्रवाई
जैसे ही यह प्रकरण विधानसभा तक पहुंचा, पुलिस प्रशासन पर दबाव बढ़ गया। नतीजा यह हुआ कि 2 सितंबर को थानेदार वरुण शर्मा को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया। उस समय यह कार्रवाई “कड़े कदम” के तौर पर दिखाई दी। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि मात्र चार दिन बाद ही SSP ने वरुण शर्मा को साइबर सेल में नई जिम्मेदारी दे दी। इस निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जिस अधिकारी को लापरवाही और संवेदनहीनता के कारण पद से हटाया गया था, उसे इतनी जल्दी कैसे नई जिम्मेदारी सौंप दी गई।
विपक्षी दलों और आम जनता के बीच इस पूरे घटनाक्रम को लेकर चर्चा तेज हो गई है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या “लाइन हाजिर” जैसी कार्रवाई महज औपचारिकता रह गई है? या फिर यह केवल राजनीतिक दबाव को शांत करने का तरीका है पुलिस प्रशासन की ओर से कहा गया है कि अधिकारियों के स्थानांतरण और नई जिम्मेदारी देना सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन जनता और सियासी हलकों में यह कदम “सिस्टम पर सवालिया निशान” के रूप में देखा जा रहा है।