धारदार एक्सक्लूसिव रिपोर्ट, यूथ इंडिया की कलम से: वकील अवधेश मिश्रा का पुराना आपराधिक खेल बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत पर भी लिखवा चुका फर्जी मुकद्दमा

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फर्जी मुकदमों का सौदागर

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह तक को करना पड़ा था हस्तक्षेप, भाजपा के कई नेताओं को फंसाने की रची गई थी साजिश
भाजपा विधायक की पत्नी को भी था फसाया
सदर विधायक को सोशल मीडिया पर कराता रहा बदनामत, उनके रिश्तेदार को भी गंदे मुकद्दमे में फंसाने की की थी तैयारी

यूथ इंडिया समाचार
फर्रुखाबाद। जनपद के विवादित वकील अवधेश मिश्रा का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है। पुराने रिकॉर्ड खंगालने पर उसके फर्जी मुकदमेबाजी के खेल का लंबा इतिहास सामने आता है। वर्ष 2003 में जब तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष और भाजपा नेता मुकेश राजपूत (वर्तमान में तीसरी बार के सांसद) अपनी टिकट की जुगत में थे, तब अवधेश मिश्रा ने अपने गैंग के सक्रिय सदस्य दाताराम जाटव निवासी नगला हीरा सिंह, थाना नवाबगंज के जरिए उनके खिलाफ न्यायालय के माध्यम से एक गंभीर मुकदमा दर्ज कराया था। जबकि श्री राजपूत का मौके पर कोई देना देना भी नहीं था।उन्होंने हीरा सिंह नगला से अवधेश के गांव जोडऩे वाली सडक़ की स्वीकृति जिला पंचायत से दी थी जो की अवधेश को अच्छी नहीं लगी थी उसने दाताराम को बड़ी बनाकर श्री राजपूत को फसाने का प्रयास किया था मोटी धनउगाई और बीजेपी से उनकी आगामी टिकट कटवाने के लिए।
इस मुकदमे में मुकेश राजपूत के साथ तीन–चार नामजद और करीब सौ अज्ञात व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया गया था। आरोप इतने संगीन थे कि उस समय पूरे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई थी। अंतत: पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कल्याण सिंह के हस्तक्षेप और कानपुर के तत्कालीन डीआईजी गुरुचरन सिंह के निर्देशन में मामले की निष्पक्ष जांच हुई और मुकदमा झूठा साबित हुआ।
दलित उत्पीडऩ और बलात्कार के फर्जी मुकदमों से डराता रहा गैंग
अवधेश मिश्रा और उसके साथी दाताराम जाटव पर आरोप है कि उन्होंने वर्षों तक न्यायालय के आदेशों का दुरुपयोग करते हुए दलित उत्पीडऩ, बलात्कार और हरिजन एक्ट जैसे संगीन मुकदमे कई निर्दोष लोगों पर लगवाए। सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता को इन लोगों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए जमकर ठिकाने लगाया।
भाजपा नेताओं के खिलाफ रचा षड्यंत्र
सपा समर्थक और भाजपा विरोधी छवि वाले अवधेश मिश्रा ने अमृतपुर विधानसभा के विधायक व प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील शाक्य की धर्मपत्नी को भी न्यायालय के आदेश पर गंभीर धाराओं में फंसाने का षड्यंत्र रचा। इस कुचक्र में उसका साथी सत्यनारायण पुत्र रामचंद्र, निवासी श्याम नगर भूपत पट्टी सक्रिय भूमिका में था। इसी क्रम में भाजपा नेता वीरेंद्र कठेरिया को फर्जी बलात्कार के मुकदमे में फंसाने की कोशिश भी की गई।
सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी को बदनाम करने की साजिश
जानकारी के मुताबिक, अवधेश मिश्रा ने अपने गैंग के सदस्य राजीव शुक्ला से सोशल मीडिया पर सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी (स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी के ज्येष्ठ पुत्र) के खिलाफ झूठी और भ्रामक खबरें वायरल कराईं। इतना ही नहीं, उनके नजदीकी रिश्तेदार अन्नू द्विवेदी तथा तत्कालीन क्षेत्राधिकारी नगर मन्नीलाल गौड़ को भी पांचाल घाट क्षेत्र की एक महिला से बलात्कार के झूठे केस में फंसाने की साजिश रची गई थी।
अवधेश मिश्रा का जाल इतना गहराई तक फैला था कि उस समय के जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. आदर्श कुमार त्रिपाठी को भी नहीं छोड़ा गया। जब उन्होंने जिलाधिकारी के आदेश पर फर्जी मान्यता प्राप्त संस्थाओं पर कार्रवाई शुरू की, तो अवधेश मिश्रा ने इटावा की एक युवती के माध्यम से छेड़छाड़ का झूठा आरोप लगाकर उन्हें धमकाने की कोशिश की। और अपने खिलाफ होने वाली कार्रवाई को थाम दिया जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी आज तक मुकदमा नहीं लिख सका।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, अवधेश मिश्रा अपने गैंग के जरिए वर्षों से प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षकों, नेताओं और व्यापारियों को ब्लैकमेल करता आ रहा है। वह स्वयं को दलित हितैषी दिखाकर न्यायालय के आदेशों के माध्यम से फर्जी मुकदमे दर्ज करवाने में माहिर रहा है। अब सवाल उठता है कि इतने पुराने मामलों के बावजूद प्रशासनिक और न्यायिक स्तर पर ऐसे लोगों के खिलाफ ठोस कार्रवाई क्यों नहीं होती? क्या फर्जी मुकदमों की इस फैक्ट्री पर अब बुलडोजर चलेगा?

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