पटना। बिहार की लोकगायिका और छठ महापर्व की पहचान बिहार कोकिला शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) को आज गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके निधन से बिहार और उत्तर भारत के संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है। पटना स्थित उनके राजेंद्र नगर आवास पर अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भाजपा के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव, और विधायक संजीव चौरसिया समेत कई प्रमुख हस्तियों ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की।
गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार और परिवार की श्रद्धांजलि
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) के बेटे अंशुमान सिन्हा ने अपनी मां को गुलबी घाट पर मुखाग्नि दी। गौरतलब है कि शारदा सिन्हा ने अपने पति ब्रज किशोर सिन्हा की मृत्यु के बाद खुद भी गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार की इच्छा जताई थी। उन्होंने अपने पति के निधन के बाद से ही जीवन में गहरी निराशा महसूस की थी, और इस अंतिम इच्छा को उनके बेटे ने सम्मानपूर्वक पूरा किया।
नीतीश कुमार और अन्य नेताओं ने जताया शोक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा के निधन को “संगीत और बिहार के लिए अपूरणीय क्षति” बताया। उन्होंने कहा कि उनके मधुर और भावपूर्ण छठ गीतों ने न केवल बिहार बल्कि पूरे उत्तर भारत में लोगों के दिलों को छू लिया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और अन्य प्रमुख नेताओं ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।
लोक-संगीत के एक अध्याय का अंत
बिहार भाजपा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि शारदा सिन्हा का निधन लोक संगीत के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत है। उन्होंने भारतीय लोक-संगीत को एक नई पहचान दी और छठ महापर्व के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपरा को जीवंत बनाए रखा। उनकी आवाज हर वर्ष छठ पर्व पर गूंजती थी और लोगों के दिलों में विशेष स्थान रखती थी।
शारदा सिन्हा के निधन के बाद बिहार ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के संगीत प्रेमियों में भी गहरा शोक है। उनकी यादें और उनके गाए छठ गीत उनके प्रशंसकों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे।