32.4 C
Lucknow
Monday, September 8, 2025

हादसे में पति खो चुकी बहू शालिनी पर टूटा ससुराल का सितम, अब कोर्ट से उत्पीड़न की तैयारी

Must read

– वकील ससुर ने ही बहू पर लगाए झूठे आरोप, दबाव बनाकर तोड़ना चाहते हौसला

फर्रुखाबाद: एक सड़क हादसे में पति खो चुकी (lost her husband in an accident) बहू शालिनी (Shalini) इंसाफ की उम्मीद में कोर्ट के दरवाजे खटखटाने को मजबूर हो गई,पति परितोष कटियार शानू की मौत से टूट चुकी वहू को अब अपने ही वकील ससुर के आरोप और दबाव झेलने पड़ रहे हैं। हालात ये हैं कि सहारे की जगह बहू को झूठे मुकदमों में फंसाने की साज़िशें रची जा रही हैं।

16 दिसम्बर 2023 की रात शालिनी अपने पति और बेटे के साथ लौट रही थीं। उपासना कोल्ड स्टोरेज पेट्रोल पंप के पास तेज रफ्तार कार ने उनकी बाइक को पीछे से टक्कर मारी। पति परितोष सड़क पर गिरकर गंभीर रूप से घायल हुए और लोहिया अस्पताल में दम तोड़ दिया। उस दिन शालिनी की ज़िंदगी अंधेरे में डूब गई।

लेकिन इस दर्द के बीच सबसे बड़ा झटका तब लगा जब मृतक के पिता और वकील ससुर रामनरेश कटियार ने ही बहू शालिनी को संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने अदालत और पुलिस के सामने दावा किया कि यह हादसा नहीं बल्कि “षड्यंत्रपूर्वक हत्या” है और इसके पीछे बहू का हाथ है।

शालिनी का आरोप है कि उनके वकील ससुर अपनी वकालत और रसूख का इस्तेमाल कर पुलिस और अफसरों पर अनर्गल दबाव बनाते हैं। उनका कहना है कि बार-बार उन्हें कटघरे में खड़ा कर मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की जा रही है।ताकि वो घर से भाग जाय, और उसका बच्चा दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाय।

सीजेएम घनश्याम शुक्ला की अदालत ने शालिनी के वकील ससुर के कारण पुलिस की अंतिम आख्या को निरस्त कर दिया और आदेश दिया कि अब इस मामले की जांच उच्च स्तर के अधिकारी से कराई जाए।

यह आदेश शालिनी उल्टा उत्पीड़न करने को पर्याप्त है। शालिनी बोली “पति को खोने का दर्द मैंने सहा है। अब मेरे ससुर वकील हैं, वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मुझे झूठे आरोपों में फंसा रहे हैं। लेकिन मैं टूटूंगी नहीं, अपने बच्चे और सच के लिए लड़ाई जारी रखूंगी।”

यह मामला केवल एक परिवार का विवाद नहीं, बल्कि समाज के सामने खड़ा बड़ा सवाल है। क्या विधवा बहू को सहारा देने की बजाय उसे ही दोषी ठहराना न्याय है? क्या वकालत और रसूख के नाम पर किसी महिला को प्रताड़ित किया जाना बर्दाश्त किया जा सकता है? शालिनी का संघर्ष उन तमाम महिलाओं की आवाज़ है जो पति के निधन के बाद दोहरी मार झेलती हैं—एक ओर अपनों को खोने का ग़म और दूसरी ओर आरोप-प्रताड़ना का बोझ।

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article