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Wednesday, March 12, 2025

सत्यगिरी महाराज सहित सात संतो ने किया जीवित समाधि का ऐलान

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फर्रुखाबाद। मेला रामनगरिया में गंगा सेवक प्रदीप शुक्ला और महंत सत्यगिरी महाराज (Satyagiri Maharaj) के बीच हुई मारपीट के मामले में विवाद बढ़ गया है। आरोप है कि इस घटना के बाद सत्यगिरी महाराज और उनके समर्थकों पर एकतरफा कार्यवाही की गई है, जिससे नाराज होकर महंत सत्यगिरी और उनके कुछ प्रमुख सहयोगियों ने सोमबार को जीवित समाधि लेने का ऐलान किया है।

यह घटना मेला रामनगरिया के धार्मिक क्षेत्र में हुई, जहां गंगा सेवक प्रदीप शुक्ला और महंत सत्यगिरी महाराज के बीच विवाद उत्पन्न हो गया था। और मारपीट तक हुई जिसके कारण स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। इस विवाद के बाद पुलिस ने महंत सत्यगिरी और उनके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।विरोध स्वरूप महंत सत्यगिरी महाराज और उनके अनुयायी श्यामपुरी जी महाराज, बासुदेवानंद, महाकाल गिरि, रामा नन्द गिरि, रघुनाथ पुरी और जितेंद्र गिरि ने यह घोषणा की कि वे सोमबार को जीवित समाधि लेंगे। उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा की गई एकतरफा कार्यवाही के बाद उनका आत्मसम्मान आहत हुआ है और अब वे इस विरोध के रूप में अपने जीवन की सर्वोत्तम कुर्बानी देने जा रहे हैं।

इसी बीच, राजपूत करणी सेना ने सत्यगिरी महाराज का खुलकर समर्थन किया है। करणी सेना ने सोशल मीडिया के माध्यम से महंत सत्यगिरी महाराज के पक्ष में आवाज उठाई है और आरोप लगाया है कि प्रशासन ने उनके खिलाफ बिना उचित जांच के कार्रवाई की है। करणी सेना के नेताओं ने इसे राजनीति से प्रेरित और उनके धार्मिक अधिकारों पर हमला बताया है। उनका कहना है कि सत्यगिरी महाराज और उनके समर्थक क्षेत्र में लंबे समय से धार्मिक कार्यों में लगे हुए थे, और उनकी भूमिका को नजरअंदाज करना गलत है।

पुलिस प्रशासन ने इस मामले में पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है। अधिकारी मामले की गंभीरता को देखते हुए कड़ी निगरानी रख रहे हैं और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ मामले की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

महंत सत्यगिरी महाराज का जीवित समाधि लेने का ऐलान न केवल एक धार्मिक पहलू को दिखाता है, बल्कि इस घटना ने स्थानीय राजनीति और धार्मिक संघर्षों को भी हवा दी है। इस तरह के घटनाओं से स्थानीय समुदाय में असमंजस की स्थिति बन गई है और कई लोग इसे प्रशासनिक ज्यादती मान रहे हैं। वहीं, कुछ अन्य लोग इसे केवल एक राजनीतिक तमाशा करार दे रहे हैं।

अब देखना यह है कि इस घटनाक्रम का क्या परिणाम निकलता है और प्रशासन इस जटिल स्थिति से कैसे निपटता है। जहां एक ओर सत्यगिरी महाराज ने अपनी तरफ से जीवन की सबसे बड़ी कुर्बानी देने का ऐलान किया है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन और समाज के अन्य हिस्से इस पूरे घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।

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