लखनऊ/गोरखपुर। हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड में कार्यरत यूपी-राजस्थान स्टेट हेड अरुणि कुमार के खिलाफ गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और यूरिया तस्करी के आरोप सामने आए हैं। सूत्रों के अनुसार, यूरिया की सब्सिडीयुक्त आपूर्ति को नेपाल बॉर्डर तक पहुंचाकर खुलेआम तस्करी कराई जा रही है, जिससे राष्ट्रीय सब्सिडी नीति और सीमाई सुरक्षा को गहरा आघात पहुंच सकता है।
विश्वसनीय आंतरिक सूत्रों का कहना है कि गोरखपुर प्लांट से भारी मात्रा में यूरिया की आपूर्ति उन क्षेत्रों में कराई गई जो नेपाल सीमा से सटे हैं — खासकर महराजगंज, सिद्धार्थनगर और बलरामपुर जिलों में। इनमें से कई स्थानों पर किसानों की मांग की तुलना में अधिक आपूर्ति दर्ज हुई, जिससे तस्करी की आशंका को बल मिला है।
भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली यूरिया सब्सिडी हर वर्ष लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपये (2024-25 बजट अनुमान) है। यदि इसके एक अंश का भी दुरुपयोग तस्करी के लिए हुआ है, तो यह करोड़ों रुपये के राष्ट्रीय नुकसान की तरफ इशारा करता है। किसानों के लिए सब्सिडी के तहत यूरिया की बोरियों की कीमत 266.50 रुपये प्रति बोरी (45 किलोग्राम) है, जबकि यही बोरी नेपाल में गैरकानूनी रूप से 700-800 रुपये तक में बेची जाती है।
माइक्रोराइज़र घोटाला: किसानों पर अतिरिक्त बोझ
कंपनी द्वारा माइक्रोराइज़र यूरिया को अनिवार्य कर दिए जाने से भी विवाद खड़ा हो गया है। किसानों से बड़ौदा एग्रोकेमिकल लिमिटेड का माइक्रोराइज़र 256 रुपये प्रति किलो में खरीदा जा रहा है, जबकि डीलरों को यही उत्पाद 132 रुपये प्रति किलो में उपलब्ध होता है। अन्य कंपनियां यही उत्पाद 70 से 90 रुपये प्रति किलो तक उपलब्ध करा रही हैं। इससे साफ है कि किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है और बीच में 100 प्रतिशत से अधिक मुनाफा कुछ खास वितरकों और अधिकारियों के बीच बंट रहा है।
डीलरों और वितरकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्टेट हेड अरुणि कुमार की ओर से धार्मिक आयोजनों के नाम पर आर्थिक वसूली की जाती है। इनकार करने पर उन्हें आर्थिक नुकसान और एफआईआर की धमकी दी जाती है।
सूत्र बताते हैं कि आरुणि कुमार को पूर्व में गोरखपुर में तैनात रहे अधिकारी अवधेश सिंह का संरक्षण प्राप्त रहा है। दोनों के बीच पिछले एक वर्ष से एक मजबूत गठबंधन कार्यरत है, जिसमें माल आपूर्ति से लेकर रसीदों और ट्रांसपोर्ट परमिट तक में मोटा कमीशन वसूला जाता है।
एचयूआरएल की विजिलेंस टीम पहले से ही कुछ शिकायतों पर जांच कर रही है, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। कंपनी के स्टेट हेड अरुणि कुमार ने सफाई देते हुए कहा, “मैं कंपनी के निर्देशानुसार ही काम करता हूं, मेरा इन मामलों से कोई लेना-देना नहीं है।” उन्हे 25 साल का। पुराना अनुभव है।
कई किसान संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे मामले की CBI या ED जैसी उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच की मांग की है। उनका दावा है कि यदि जांच निष्पक्ष हुई तो करोड़ों रुपये की तस्करी और सब्सिडी घोटाले का बड़ा खुलासा हो सकता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी खतरा
नेपाल बॉर्डर से यूरिया की तस्करी न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी खतरनाक है। यूरिया का उपयोग विस्फोटकों में भी किया जा सकता है, जिससे सीमाई इलाकों में आतंकवाद और असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है।
एचयूआरएल जैसे सार्वजनिक उपक्रम की छवि को बचाए रखने और किसानों की सहूलियत सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। यदि अरुणि कुमार और उनसे जुड़े अन्य अधिकारी दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।