नई दिल्ली: Shardiya Navratri के आठ दिन बीत चुके हैं। 30 सितंबर को नवरात्रि के नौवें दिन यानी महा नवमी (Maha Navami) के दिन देवी मां सिद्धिदात्री उपासना करनी होती है। शारदीय नवरात्रि में नौ दिवसीय दुर्गा पूजा (Durga Puja) के दौरान पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांड़ा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन यानी महा सप्तमी के दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन यानी कि महा अष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजा-अर्चना करने के बाद नौवें दिन यानी महा नवमी के दिन देवी मां सिद्धिदात्री उपासना करनी होती है।
यहां पर हम आपको मां सिद्धिदात्री की पूजा- उपासना से जुड़ी सभी जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं. उनके मंत्र से लेकर पूजा विधि, कथा, भोग और आरती तक सब कुछ यहां आपको बताएंगे। दुर्गा पूजा में नवमी के दिन विशेष हवन-पूजन किया जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद अन्य देवताओं का भी पूजन होता है।
महानवमी हवन शुभ मुहूर्त
महानवमी के दिन हवन के दौरान दी जाने वाली आहुति मां के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री को अर्पित होती है। ऐसे में 1 अक्टूबर यानी महानवमी के दिन हवन का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 14 मिनट से शाम 6 बजकर 7 मिनट तक रहने वाला है।
नवरात्रि हवन मंत्र
नवरात्रि हवन को नौ दिनों की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है क्योंकि इसके बिना साधना अधूरी रहती है। हवन में विभिन्न देवताओं के मंत्रों के साथ आहुतियां दी जाती हैं जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और माता रानी की कृपा बरसती है।
नवरात्रि हवन पूर्णाहुति विधि
नवरात्रि हवन में पूर्णाहुति एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अंतिम चरण होता है। यह हवन को पूरा करने का प्रतीक है और इसमें भक्त मां दुर्गा से जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।