कायमगंज: विश्व बंधु परिषद (World Brothers Council) की महिला शाखा द्वारा कृष्णा प्रेस परिसर में आयोजित गोष्ठी में महिला सशक्तीकरण (women empowerment) की दिशा और दशा पर विचार व्यक्त किए गए। लखनऊ की आयीं अंग्रेजी प्रवक्ता हंसा मिश्रा ने कहा कि नारी स्वयं शक्ति स्वरूपा है। आज तेजस्वी बालिकाएं अखिल भारतीय सेवा एवं सशस्त्र बलों में उपस्थिति दर्ज कराने के साथ ही कुस्ती, बॉक्सिंग ,भारोत्तोलन जैसी पुरुष प्रधान प्रतियोगिताओं में विश्व रिकॉर्ड बना रही हैं। राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद पर विराजमान हैं।
कीर्ति दुबे ने कहा कि चिंता की बात यह है कि आज नारी सशक्तीकरण की मुहिम गलत दिशा में जा रही है। हमारी न्याय व्यवस्था कहती है कि १८ साल की लड़की चाहे घर छोड़ जाए,लिव इन रिलेशनशिप में रहे, इसमें माता पिता को दखल देने का कोई विधिक अधिकार नहीं है। क्या सभ्य समाज में नारी सशक्तीकरण की यही परिभाषा मान्य होगी? शिक्षिका अपर्णा बाथम ,शिक्षामित्र श्रीमती मंजू मिश्रा ने कहा कि आज बच्चों को संस्कारित शिक्षा की जरूरत है जिससे कि वे देश काल और अवसर के अनुसार विवेक पूर्ण निर्णय ले सकें।
रंजना शुक्ला ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्तरीय कन्या पाठशालायें खोलने की जरूरत है जिसमें बहु आयामी शिक्षा की व्यवस्था हो। श्रीमती कृष्णा मिश्रा ने कहा कि नारी का जिस्म भले फौलादी हो लेकिन उसका ह्रदय प्रेम और करुणा का शाश्वत स्रोत रहे। वह सिंह वाहिनी दुर्गा हो, कमलासना लक्ष्मी हो लेकिन अच्छा हो कि सृष्टि के कल्याण के लिए वह मां पार्वती की तरह अन्नपूर्णा हो, करुणा निधान हो। सर्व सुख धाम हो। प्रदर्शनीय नहीं दर्शनीय हो। भारतीय समाज को गार्गी, अवंती बाई, लक्ष्मी बाई जैसी नारियां चाहिए, सूर्पनखा, ताड़का, पूतना जैसी नहीं।गोष्ठी में प्रोफेसर रामबाबू मिश्र ‘रत्नेश’,गीतकार पवन बाथम , अनुपम मिश्रा ,यश वर्धन , जे पी दुबे , वी एस तिवारी आदि उपस्थित रहे।


