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Sunday, November 9, 2025

शताब्दी पर अभिव्यंजना की संगोष्ठी, ललित निबंधों के पुरोधा थे दो विद्यानिवास मिश्र

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फर्रुखाबाद: प्रमुख साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था अभिव्यंजना (expression) के स्थापना के उपलक्षय में पर विचार एवं काव्य संगोष्ठी (Thought and Poetry Symposium) का आयोजन संस्था प्रमुख डॉ रजनी सरीन के लोहाई रोड स्थित निवास पर किया गया । वरिष्ठ कवि महेश पाल सिंह उपकारी की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ ।इस अवसर गुजरात से आये डॉ सुनील कुमार मानस मुख्य वक्ता रहे। डॉ विद्यनिवास मिश्र को समर्पित इस गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ शिवओम अम्बर ने की ।

इस मौके पर डॉ सुनील कुमार मानस ने कहा कि पदमभूषण से सुशोभित डॉ विद्यनिवास मिश्र ललित निबन्ध के पुरोधा थे उनके निबंधों में संवेदनशील गुदगुदी थी जो समाज के लिए आज भी प्रेरक है। पूरे देश मे उनका जन्मशताब्दी समारोह मनाया जा रहा है । राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त साहित्यकार डॉ शिवओम अम्बर ने कहा कि साहित्य में गद्य और पद्य दोनों का ही महत्वपूर्ण हैं।

भारत भूमि पर ऐसे अनेक मनीषी हैं जिनकी वजह से प्रत्येक कालखण्ड में हमारी संस्कृति अक्षुण्ण रही है । कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ वन्दना द्विवेदीजी जी ने कहा कि डॉ विद्यनिवास मिश्र की की रचनाओं में युवाओं के लिए गहरे संदेश है उनका पढ़ना बहुत आवश्यक है ।डॉ रजनी सरीन ने हिन्दी के प्रति लोगों में नकारात्मक भाव आने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी का सामूहिक दायित्व है ।डॉ कृष्णकांत अक्षर ने डॉ विद्यनिवास मिश्र के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए संचालन किया ।

इस अवसर पर गुंजा जैन ,रामावतार शर्मा इंदु , आलोक रायजादा , प्रीति रायजादा ,निमिष टण्डन , गौरव मिश्र ,श्री अरविंद दीक्षित जी अजय चौहान, कुलभूषण श्रीवास्तव ,अंजुम दुबे जी ,आदि उपस्थित रहे । यह जानकारी संस्था के समन्वयक भूपेंद्र प्रताप सिंह ने दी।

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