वाराणसी और कानपुर दोनों जगह कार्रवाई की तैयारी
लखनऊ| कोडीन युक्त सीरप की अवैध बिक्री और बड़े पैमाने पर भंडारण के खुलासे के बाद अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) के कई अफसर जांच के दायरे में आ गए हैं। कानपुर में लापरवाही सामने आने पर सहायक आयुक्त औषधि दिनेश कुमार तिवारी और औषधि निरीक्षक रेखा सचान पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पहले ही हटाया जा चुका है। वहीं वाराणसी में लाखों रुपये की सीरप बरामदगी और वैध लाइसेंस रद्द होने के बावजूद दवाओं की बिक्री के मामलों में स्थानीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। एफएसडीए आयुक्त रोशन जैकब ने स्पष्ट किया है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और जांच पूरी होते ही कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। 11 नवंबर को कानपुर में आयुक्त की अगुवाई में छापेमारी में कोडीन युक्त सीरप के बड़े भंडार का खुलासा हुआ था, जिसके बाद दोनों अधिकारियों को हटाया गया। इसके चार दिन बाद 15 नवंबर को वाराणसी में हुई कार्रवाई में 73.30 लाख रुपये मूल्य की सीरप जब्त की गई, 20 एफआईआर दर्ज की गईं और छह लोगों को गिरफ्तार किया गया। जांच पूरी होने तक 46 दवा दुकानों पर कोडीन युक्त सीरप और नार्कोटिक दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। वाराणसी के दवा बाजार से पूर्वांचल के जिलों, बिहार, झारखंड और बांग्लादेश तक कोडीन युक्त सीरप की सप्लाई के सुराग मिले हैं, जिससे बड़े नेटवर्क का अंदेशा और मजबूत हुआ है। कई दवा प्रतिष्ठान बिक्री का रिकॉर्ड दिखाने में असफल रहे, जबकि नौ फर्में बंद मिलीं लेकिन उनके अवैध बिलों से सीरप की बिक्री की पुष्टि हुई। कुछ फर्में केवल कोडीन युक्त सीरप के ही कारोबार में पाई गईं, जिससे एफएसडीए के स्थानीय अधिकारियों की अनभिज्ञता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आयुक्त रोशन जैकब ने कहा कि जांच तेजी से चल रही है और पूरे नेटवर्क तथा अधिकारियों की भूमिका पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।





