कोलकाता| भारत की पूर्वी सीमा पर स्थिति तेजी से बदल रही है। सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने दक्षिण बंगाल में भारत–बांग्लादेश सीमा पार कर बांग्लादेश लौटने की कोशिश कर रहे अवैध नागरिकों की संख्या में तेज़ और चिंताजनक बढ़ोतरी की पुष्टि की है। BSF अधिकारियों के अनुसार, यह उछाल हाल ही में शुरू हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान से जुड़ा हुआ दिखाई दे रहा है।
उत्तर 24 परगना और मालदा के बिना बाड़ वाले इलाकों में BSF की निगरानी के दौरान पिछले दो वर्षों की तुलना में कई गुना अधिक लोग अवैध रूप से सीमा पार कर अपने देश लौटने की कोशिश करते पकड़े जा रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले ऐसे मामले रोजाना दहाई अंकों तक भी नहीं पहुंचते थे, लेकिन अब हर दिन 100–150 या उससे अधिक लोग पकड़े जा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आंकड़ा बड़ा जरूर है, लेकिन 500 प्रतिदिन जैसी रिपोर्टें अतिरंजित हैं।
अचानक बढ़ी भीड़ के कारण BSF और राज्य पुलिस पर दबाव तेज़ हुआ है, क्योंकि हर व्यक्ति की बायोमेट्रिक जांच, पूछताछ और आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच अनिवार्य है। अधिकारी के मुताबिक, हर अवैध पार करने वाला व्यक्ति मजदूर ही होगा, यह मानकर चलना सुरक्षा जोखिम है। कुछ अपराधी या कट्टरपंथी तत्व भी हो सकते हैं, इसलिए कड़ी जांच जरूरी है।
जांच के बाद जिनके खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिलता, उन्हें बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) से समन्वय कर औपचारिक रूप से वापस भेजा जाता है। लेकिन जिन पर केस मिलता है, उन्हें राज्य पुलिस को सौंपा जाता है। अधिकारियों के मुताबिक, लगभग सभी लौटने वालों के पास पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज नहीं होते। कई लोग वर्षों पहले रोजगार की तलाश में भारत आए, लंबे समय तक रुके और अब SIR व पुलिस सत्यापन के कारण डरकर अचानक भारी संख्या में वापस लौटने की कोशिश कर रहे हैं।
BSF अधिकारियों ने स्वीकार किया कि बड़ी संख्या में लोगों को एक साथ हिरासत में रखना संभव नहीं, इसलिए उचित सुरक्षा प्रक्रिया के बाद उन्हें लौटाना ही व्यावहारिक विकल्प है। उन्होंने कहा कि बढ़ी संख्या ठीक उसी समय दिखनी शुरू हुई जब कई राज्यों में SIR अभियान शुरू हुआ, जिससे बिना दस्तावेज रह रहे लोगों में डर फैल गया और वे भारी संख्या में अपने देश लौटने लगे।






