नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने नोटबंदी वाले 500 और 1000 रुपये के नोटों का कारोबार करने वाले एक गिरोह (Gang) का भंडाफोड़ किया और 3.59 करोड़ रुपये के रद्द नोट बरामद किए। पुलिस के अनुसार, चार लोगों को गिरफ्तार (arrested) किया गया है और अवैध व्यापार में कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए दो वाहनों को जब्त कर लिया गया है। शालिमार बाग मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 4 के पास संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिलने के बाद बुधवार को गिरफ्तारियां की गईं।
पुलिस उपायुक्त (उत्तर-पश्चिम) भीष्म सिंह ने बताया, “एक टीम ने कार्रवाई की और संदिग्धों को पकड़ा। आरोपियों की पहचान हर्ष (22), टेक चंद ठाकुर उर्फ विनोद (39), लक्ष्य (28) और विपिन कुमार (38) के रूप में हुई है।” अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह नोटबंदी के बाद बंद हो चुके नोटों को उनके अंकित मूल्य के एक छोटे से हिस्से में बेचकर और यह झूठा दावा करके कि आधार कार्ड का उपयोग करके भारतीय रिजर्व बैंक में इन्हें बदला जा सकता है, प्रचलन में ला रहा था। जांचकर्ताओं ने बताया कि आरोपियों ने स्वीकार किया कि उनका मकसद “जल्दी और अवैध रूप से पैसा कमाना” था।
लंबी पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने खुलासा किया कि वे 2021 से आशीष और तरुण नाम के दो व्यक्तियों के संपर्क में थे। लगभग दो महीने पहले, दोनों ने कथित तौर पर उन्हें करोड़ों रुपये के नोटबंदी वाले नोटों तक पहुंच के बारे में बताया और नोटों को ठिकाने लगाने में मदद करने के लिए भारी कमीशन का वादा किया। फोन पर मिले निर्देशों के आधार पर, आरोपियों ने भोले-भाले खरीदारों को नोट बेचने की कोशिश की। गिरफ्तार किए गए सभी व्यक्ति आर्थिक तंगी या व्यक्तिगत दबाव के कारण इस योजना में शामिल हुए प्रतीत होते हैं।
अधिकारी ने बताया, “हर्ष कथित तौर पर अपने चचेरे भाई लक्ष्य के माध्यम से इस योजना में शामिल हुआ, जिसने अपनी आगामी शादी के लिए ऋण लिया था। घर और शिक्षा के खर्चों से जूझ रहे टेक चंद को कथित तौर पर मुनाफे के वादों से लुभाया गया, जबकि निजी क्षेत्र में कार्यरत विपिन ने भी जल्दी आय की तलाश की।” अशोक विहार पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और निर्दिष्ट बैंक नोट (देयता समाप्ति) अधिनियम, 2017 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। डीसीपी ने बताया कि मुख्य साजिशकर्ताओं का पता लगाने और शेष मुद्रा को बरामद करने के लिए आगे की जांच जारी है।


