नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ संपत्तियों, जिनमें ‘वक्फ-बाय-यूजर’ भी शामिल हैं, की अनिवार्य पंजीकरण समय सीमा बढ़ाने से जुड़ी याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की अनुमति दे दी।
इससे पहले कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की कुछ धाराओं पर अस्थाई रोक लगाई थी — जिनमें यह प्रावधान भी शामिल था कि केवल वे व्यक्ति वक्फ बना सकते हैं जो पिछले पाँच वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहे हों।
अदालत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ‘वक्फ-बाय-यूजर’ प्रावधान हटाने का निर्णय ग़ैर-तर्कसंगत नहीं है। यह प्रावधान उन संपत्तियों से संबंधित है जिनका लंबे समय तक धार्मिक या चैरिटेबल उपयोग हुआ हो, भले ही कोई औपचारिक दस्तावेज मौजूद न हो।
ओवैसी के वकील नजम पासा ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए दिए गए छह महीने में पाँच महीने बीत चुके हैं, इसलिए समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्र को पहले जानकारी दी जानी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गावई ने स्पष्ट किया — “सूचीबद्ध करना राहत देना नहीं है, बल्कि केवल सुनवाई के लिए अवसर देना है।”
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 6 जून 2025 को ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास (UMEED)’ पोर्टल लॉन्च किया था, जिसके तहत सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड और जियो-टैगिंग अनिवार्य की गई है।