प्रशांत कटियार
किसी साहित्यकार को याद करना केवल उनके लिखे हुए शब्दों को स्मरण करना नहीं होता, बल्कि यह उनके व्यक्तित्व और विचारों की उस ज्योति को अपने भीतर अनुभव करना होता है, जिसने समाज और मानवता को दिशा दी। आज हम हिंदी साहित्य की अनुपम साधिका, आधुनिक मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा को उनकी पुण्यतिथि पर नमन कर रहे हैं।
महादेवी वर्मा का जीवन और लेखन दोनों ही असाधारण थे। उनकी कविताएँ केवल शब्दों का क्रम नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं की गहरी व्याख्या थीं।
उनके गीतों में कहीं विरह की करुणा है तो कहीं जीवन की जटिलताओं के उत्तर खोजने की तड़प।
वह कहती थीं – “मैं नीर भरी दुःख की बदली।”
यह पंक्ति केवल उनकी कविता नहीं, बल्कि उनके समग्र जीवन की व्याख्या है।
महादेवी वर्मा ने उस दौर में स्त्री अस्मिता और स्वतंत्रता की अलख जगाई जब स्त्रियों की आवाज़ को अक्सर दबा दिया जाता था। उन्होंने समाज को यह बताया कि स्त्री केवल गृहस्थ जीवन तक सीमित प्राणी नहीं, बल्कि विचार, संवेदना और सृजन की असीम शक्ति है।
उनकी रचनाएँ आज भी हर उस स्त्री के लिए प्रेरणा हैं जो अपने अधिकारों और अस्तित्व के लिए संघर्षरत है।
आज जब हम विज्ञान और तकनीक के शिखरों को छू रहे हैं, तब भी हमें महादेवी वर्मा के साहित्य की उतनी ही आवश्यकता है।
विज्ञान हमें मशीनें देता है, पर साहित्य हमें दिल की धड़कन देता है।विज्ञान हमें गति देता है, पर साहित्य हमें मंज़िल का अर्थ समझाता है।
महादेवी वर्मा का साहित्य हमें यह सिखाता है कि प्रगति का वास्तविक अर्थ तभी है जब उसमें संवेदनाओं का संतुलन हो।
“दीपशिखा”, “संध्यागीत”, “यामा” जैसी कृतियाँ केवल पुस्तकें नहीं, बल्कि मानव आत्मा का संगीत हैं।
उनकी गद्य रचनाएँ — “अतीत के चलचित्र” और “श्रृंखला की कड़ियाँ” — जीवन के अनुभवों को आत्मकथात्मक शैली में प्रस्तुत करती हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
उनकी लेखनी ने न केवल साहित्य को समृद्ध किया बल्कि समाज को भी संवेदना और करुणा से जोड़ने का काम किया।
महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि पर हम उन्हें नमन करते हुए यह संकल्प लें कि हम उनकी संवेदनाओं को जीवित रखेंगे।
वह हमें याद दिलाती हैं कि शब्दों की साधना केवल साहित्यकार का कार्य नहीं, बल्कि समाज का दायित्व भी है।
आज की पीढ़ी को उनके साहित्य से यह सीखना होगा कि प्रेम, करुणा और मानवीयता ही जीवन का सबसे बड़ा विज्ञान है।
महादेवी वर्मा अमर रहेंगी, क्योंकि उनका लिखा हुआ हर शब्द आने वाली पीढ़ियों की धड़कनों में जीवित रहेगा।
प्रशांत कटियार
स्टेट हेड, यूथ इंडिया न्यूज़ ग्रुप