शरद कटियार
यह युग केवल शरीर का नहीं, विचारों का युद्धक्षेत्र है।
कलयुग में न तो रावण है, न कंस, परंतु उनका रूप हर उस मन में है, जहाँ नकारात्मकता, छल और स्वार्थ का निवास है।
आज परमात्मा का अवतार बाहरी रूप में नहीं, बल्कि विचारों की सादगी और मानवता की संवेदना में हो रहा है।
पुराणों में कहा गया है कि जब दैत्य ने परमात्मा से कहा —
> “जब भी मैं रावण, कंस या हिरण्यकश्यप बनकर आया, आपने अवतार लेकर मेरा संहार किया।
पर इस बार मैं मनुष्य के भीतर प्रवेश करूँगा — उसके मन, मस्तिष्क और विचारों में बसकर अपराध, क्रोध, ईर्ष्या और लोभ पैदा कर दूँगा। तब आप क्या करेंगे?”
परमात्मा मुस्कुराए और बोले —
> “मैंने तुम्हें रचा है, अतः तुम्हारे भीतर भी मेरी शक्ति है।
जब तुम विचार बनकर फैलोगे, तब मैं भी विचार रूप में ही तुम्हारा संहार करूँगा।
मैं किसी शरीर में नहीं, हर शुभ विचार, हर करुणा और हर सादगी में प्रकट होऊँगा।”
कलयुग का यथार्थ — जहाँ युद्ध अदृश्य है
आज यही हो रहा है।
असत्य का शोर चारों ओर है, परंतु सत्य की प्रतिध्वनि अब भी हर ईमानदार हृदय में गूँजती है।
बुराई अब रावण के दस सिरों की तरह दिखाई नहीं देती, बल्कि वह मानव की सोच, उसकी प्रवृत्ति और उसकी महत्वाकांक्षाओं में छिपी है।
परमात्मा ने जैसा कहा था, अब वह अति सूक्ष्म रूप में प्रकट हो रहे हैं —
वह किसी चमत्कार के रूप में नहीं, बल्कि हर उस इंसान में हैं जो कठिन परिस्थितियों में भी सत्य, दया और धर्म को नहीं छोड़ता।
अच्छे विचार ही आधुनिक युग का अवतार हैं
आज जब एक व्यक्ति लोभ छोड़कर सादगी अपनाता है, जब कोई इंसान हिंसा के बदले प्रेम का मार्ग चुनता है,
जब कोई पत्रकार, शिक्षक, सैनिक या किसान अपने कर्तव्य को धर्म मानकर निभाता है —
वहीं परमात्मा विचार रूप में अवतरित होते हैं।
अवतार का स्वरूप अब अलौकिक नहीं रहा, बल्कि मानव चेतना का जागरण बन गया है।
हर अच्छा विचार अब उस दिव्य शक्ति का विस्तार है, जो अंधकार को मिटा रही है।
दैत्य ने मनुष्य के भीतर बैठकर लालच, भय और नफरत बोने की कोशिश की,
पर अब मनुष्य उसी भीतर से परमात्मा की ज्योति खोज रहा है।
जब लोग न्याय, सादगी और करुणा को अपनाते हैं, तो यह दैत्य की हार है।
यह युद्ध अब तलवारों से नहीं, विचारों से लड़ा जा रहा है।
आज संसार में जो भी अच्छाई बची है, वह किसी मंदिर की मूर्ति में नहीं, बल्कि
हर उस इंसान में है जो सच बोलने की हिम्मत रखता है, जो दूसरों के लिए कुछ अच्छा करने की भावना रखता है।
परमात्मा ने कहा था —
> “मैं सूक्ष्म रूप में रहूँगा और सादगी से बुराई का नाश करूँगा।”
आज यह सत्य स्पष्ट दिख रहा है —
बुराई चाहे मन में जन्म ले, अच्छाई वहीं उसका अंत लिख देती है। सही मायने मे,
> “परमात्मा अब धरती पर उतरने नहीं आ रहे —
वे हर उस व्यक्ति में प्रकट हो चुके हैं, जो सत्य के पक्ष में खड़ा है।”





