लखनऊ| सहालग का सीजन शुरू होते ही सब्जियों के बाजार का पूरा संतुलन बिगड़ गया है। बढ़ी हुई मांग और हाल की लगातार बारिश से कम उत्पादन होने के कारण फुटकर मंडियों में मौसमी और ऑफ-सीजन दोनों तरह की सब्जियों के दाम पिछले आठ से दस दिनों में डेढ़ गुना तक बढ़ चुके हैं। इससे आम आदमी की थाली महंगी हो गई है और घरेलू बजट पर सीधा असर पड़ा है।
लखनऊ की निशातगंज, चौक और अन्य मंडियों में कुछ दिन पहले 30 से 40 रुपये किलो मिलने वाली लौकी अब 60 रुपये किलो तक पहुंच चुकी है। कट्टू 50 रुपये और गाजर 60 रुपये किलो बिक रही है। बैंगन भी 60 रुपये किलो और गोभी 25 रुपये प्रति पीस पहुंच गई है। वहीं सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला टमाटर और शिमला मिर्च 50-60 रुपये से बढ़कर 80 रुपये किलो हो गए हैं। सब्जी व्यापारी जुम्मन के अनुसार सहालग की बढ़ी मांग के चलते परवल 120 रुपये किलो और मटर 160 रुपये किलो मिल रही है। मुफ्त में मिलने वाली धनिया भी 200 रुपये किलो में बिक रही है। मोहल्लों और ठेलों पर यही सब्जियां 10-20 रुपये किलो और महंगी मिल रही हैं।
कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि अक्तूबर तक लगातार हुई बारिश के कारण किसानों को टमाटर की नर्सरी तैयार करने का मौका नहीं मिला। नतीजतन टमाटर का रकबा कम हुआ और बारिश के बाद वायरस का खतरा भी बना हुआ है। उन्नाव, बाराबंकी, फैजाबाद और आजमगढ़ से लखनऊ की सप्लाई प्रभावित होने से कीमतें और बढ़ी हैं।
राजधानी के ग्रामीण इलाकों में बैंगन और करेला की खेती सीमित है, जबकि करेला मुख्य रूप से हरदोई में होता है। बख्शी का तालाब और चिनहट क्षेत्र बैंगन उत्पादन के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं। लगातार बारिश और बढ़ते उपभोग ने सब्जियों की उपलब्धता कम कर दी है, जिससे आने वाले दिनों में कीमतें और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।






