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Wednesday, October 8, 2025

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का केंद्र सरकार पर तीखा हमला

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– सिंदूर ऑपरेशन पर सेना की तारीफ, पर विदेशी नीति और आतंकी घटनाओं पर सरकार को घेरा

दिल्ली। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान कई अहम मुद्दों पर केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर तीखा हमला बोला।

अखिलेश यादव ने जम्मू-कश्मीर में हुए “सिंदूर ऑपरेशन” पर सेना की तारीफ करते हुए कहा, “हम भारतीय सेना के साहस, पराक्रम और बहादुरी को सलाम करते हैं। उन्हें इस अभियान के लिए बधाई देते हैं। अगर उन्हें और मौका मिलता तो शायद POK (पाक अधिकृत कश्मीर) भी ले लेते।”

हालांकि इसके साथ ही उन्होंने आतंकवाद को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल भी खड़े किए। उन्होंने कहा, “सबसे बड़ा सवाल यह है कि बार-बार आतंकवादी घटनाएं बीजेपी सरकार में ही क्यों हो रही हैं? इससे देश की सुरक्षा नीति पर सवाल खड़े होते हैं।”

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए अखिलेश यादव ने कहा, “अगर देश में काम न करने वालों का कोई रिकॉर्ड बनेगा तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम उसमें सबसे ऊपर होगा।”

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “कहीं ऐसा तो नहीं कि लखनऊ से कोई सुरंग अंदर ही अंदर खुद रही हो?”
अखिलेश यादव ने भारत की विदेश नीति को पूरी तरह से असफल बताते हुए कहा, “जब भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन की जरूरत पड़ी, तब कोई भी देश हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। यह हमारी विफल विदेश नीति का प्रमाण है।”

चीन से आयात को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार को सलाह देते हुए कहा, “सरकार को यह फैसला लेना चाहिए कि अगले 10 वर्षों तक भारत में चीन का कोई भी सामान नहीं आने दिया जाएगा। इससे आत्मनिर्भर भारत की भावना को मजबूती मिलेगी।”

बीजेपी द्वारा समाजवादी पार्टी को ‘नमाजवादी’ कहे जाने पर पलटवार करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, “जो यह कहते हैं कि हम नमाजवादी हैं, उन्हें शायद यह नहीं पता कि बीजेपी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष जिनका नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है, उनके प्रस्तावक खुद पांच बार के नमाजी थे।”

अखिलेश यादव के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। उनके इन बयानों को लोकसभा चुनावों से पहले सरकार की विदेश नीति, आतंकी घटनाओं और प्रदेश प्रशासन पर सवाल खड़े करने की एक बड़ी राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

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