समाजवादी पार्टी ने उठाया नया राजनीतिक कदम, स्थान विशेष के लिए बनाएगी ‘लोकल मैनिफेस्टो’ : अखिलेश यादव

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई पहल करते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) ने विभिन्न जिलों और नगरों के लिए ‘लोकल मैनिफेस्टो’ जारी करने की घोषणा की है। इसकी शुरुआत मथुरा-वृंदावन, हाथरस और आगरा से की जाएगी। पार्टी का कहना है कि यह पहल प्रदेश के विकास मॉडल को नई दिशा देगी और स्थानीय स्तर पर जनता की बुनियादी समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करेगी।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने प्रदेश को केवल वादों और जुमलों से ठगा है। लोगों की बुनियादी समस्याएँ जस की तस बनी हुई हैं। समाजवादी पार्टी स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखकर लोकल मैनिफेस्टो तैयार कर रही है ताकि जनता को यह भरोसा मिल सके कि उनकी वास्तविक समस्याओं का समाधान समयबद्ध तरीके से होगा।
लोकल मैनिफेस्टो बनाने के पीछे का तर्क
समाजवादी पार्टी ने लोकल मैनिफेस्टो की आवश्यकता बताते हुए कई कारण गिनाए:
वर्चस्ववादियों द्वारा पैदा की गईं सामाजिक भेदभाव की निंदनीय परिस्थितियाँ।
जानबूझकर बंद कराई जा रही आर्थिक गतिविधियाँ और घटते रोज़गार के अवसर।
भाजपा सरकार के महा-भ्रष्टाचार से उपजे नकारात्मक राजनीतिक हालात।
भूमाफ़ियाओं और बाहरी ठेका-माफ़ियाओं का बढ़ता मकड़जाल।
स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था की बदहाली।
किसानों, मज़दूरों, युवाओं, महिलाओं, दुकानदारों और कारीगरों की अनदेखी।
लंबे समय से लंबित संरचनात्मक सुधारों की उपेक्षा।
स्थानीय अपेक्षाओं और बुनियादी ज़रूरतों की दुर्दशा।
पार्टी का कहना है कि यह लोकल मैनिफेस्टो पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श मॉडल बनेगा। जहाँ भी ज़रूरत होगी, उसी तरह का घोषणापत्र बनाकर स्थानीय मुद्दों जैसे सड़क, फ़्लाईओवर, बिजली, पानी, जलभराव, ट्रैफिक जाम, पक्की गलियों और अन्य बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर पर समयबद्ध कार्य किया जाएगा।
अखिलेश यादव ने कहा – “जनता आज भी समाजवादियों के कामों को याद करती है और उन पर भरोसा करती है। भाजपा ने जनता को धोखा दिया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने हमेशा विकास और सौहार्द की राजनीति की है। हम हर जिले की ज़रूरत के हिसाब से लोकल मैनिफेस्टो बनाएंगे और प्रदेश को फिर से अमन-चैन और खुशहाली के रास्ते पर ले जाएंगे।”
सपा ने इस पहल को पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) की महापुकार बताया और नारा दिया –
“ये है पीडीए की महापुकार, हम बनाएंगे अपनी सरकार।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम सपा की रणनीति का हिस्सा है, जिससे पार्टी स्थानीय मुद्दों पर गहरी पकड़ बना सके और भाजपा के बड़े-बड़े वादों का सीधा जवाब दे सके।

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