सहनशीलता करुणा और मैत्री के भाव से सार्थक होता है मानव जीवन: आचार्य मिश्रा

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फर्रुखाबाद। लोको रोड के समीप चल रही श्री मद्भागवत कथा व्यास आचार्य राम मूर्ति मिश्रा ने अपने प्रवचन में कहा कि कहा कि सहनशीलता, करुणा, और और मैत्री भाव से संपन्न व्यक्ति ही सुखी होता है। इसलिए हर व्यक्ति को अपने अंदर इन गुना का विकास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इन तीनों गुना से भगवान प्रसन्न होते हैं भगवान के प्रसन्न होने से प्राकृतिक गुणों और शारीरिक जरूर से मुक्त होकर प्राणी सुख स्वरूप ब्रह्म की प्राप्ति करता है। उन्होंने कहा कि रघुनाथ जी की कृपा को प्राप्त करने के लिए सदैव प्रसन्न रहना चाहिए। भागवत कथा व्यास ने कहा कि ज्ञान और भक्ति दोनों का समन्वय ही व्यक्ति का कल्याण कर सकता है इसलिए सुख समृद्धि और भक्ति प्राप्त करने के लिए ज्ञान और भक्त दोनों को ही धारण करना चाहिए सभी जीवो के साथ समान बर्ताव करने से सर्वात्मा हरि प्रसन्न होते हैं।
मृत्यु के भाई से मुक्ति दिलाती है श्रीमद् भागवत कथा आचार्य मिश्रा ने कहा कि जीव जब ईश्वर का परोक्ष दर्शन करता है तभी वह कृतार्थ होता है।
उन्होंने कहा कि प्रभु के तीन प्रकार से दर्शन होते हैं पहले तो स्वप्न में यह साधारण दर्शन है मंदिर एवं मूर्ति में यह मध्य दर्शन है और ईश्वर का परोक्ष दर्शन उत्तम दर्शन कहा गया है। उन्होंने कहा कि सब में परमात्मा का अनुभव होता है जीव को अपने स्वरूप में भी परमात्मा का अनुभव होता है। उन्होंने कहा कि श्री नारायण की पहचान करने वाला और श्री नारायण में ही ली होने का साधन श्रीमद् भागवत शास्त्र है श्रीमद् भागवत सुनने से सर्वभय ,व मृत्यु भय का नाश हो जाता है। उन्होंने मंगलाचरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम का सुचारू संचालन भारतीय विकास परिषद के शाखा अध्यक्ष। समाजसेवी अंजुम दुबे ने किया। इस अवसर पर आचार्य अविनाश पांडेय, श्रीमती गुंजा जैन राजेंद्र कुमार त्रिपाठी एडवोकेट सुरेंद्र कुमार सफ्फड़, डॉ मनोज कुमार मेहरोत्रा शिव कुमार शास्त्री रामचंद्र आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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