सहकारिता विभाग में चरम पर भ्रष्टाचार, पीडि़त कर रहे आत्महत्याएं

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 =लखीमपुर खीरी में सचिव की आत्महत्या ने खोली सिस्टम की पोल
=सुसाइड नोट में मंत्री के दो सजातीय अफसरों पर आरोप यूथ इंडिया समाचार

लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश का सहकारिता विभाग भ्रष्टाचार की गहरी खाई में धँसता जा रहा है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि अब ईमानदार कर्मचारियों को आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ताज़ा मामला लखीमपुर खीरी का है, जहाँ परसपुर किसान सेवा सहकारी समिति के सचिव अजय कुमार मिश्रा ने जि़ंदगी खत्म कर ली।
अजय कुमार मिश्रा का सुसाइड नोट विभागीय भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला सबूत है। इसमें ए.आर. (सहकारिता) राजनीश प्रसाद सिंह और ए.डी.ओ. (सहकारिता) राजेश सिंह पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। नोट में लिखा है कि दोनों अधिकारी तीन लाख रुपये रिश्वत लेने के बावजूद बार-बार अतिरिक्त पैसों की मांग कर रहे थे। यहाँ तक कि 50 हजार रुपये और देने के लिए दबाव बनाया गया।
ईमानदारी से काम करने वाले सचिव ने इस निरंतर उत्पीडऩ और रिश्वतखोरी से टूटकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले उन्होंने साफ लिखा कि अगर भ्रष्ट अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई तो सिस्टम में किसी ईमानदार कर्मचारी का बचना मुश्किल होगा।
इस सनसनीखेज़ घटना ने पूरे जिले में आक्रोश पैदा कर दिया है। सहकारिता समितियों के कर्मचारी और ग्रामीण साफ कह रहे हैं कि विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर पहुँच चुका है। आए दिन गड़बडिय़ों, घोटालों और अधिकारियों की दबंगई की कहानियाँ सामने आती हैं, लेकिन कार्रवाई सिफऱ् कागज़ों तक सीमित रहती है।
बीजेपी सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति के दावों के बीच यह घटना बड़ा सवाल खड़ा करती है—क्या सहकारिता विभाग के भ्रष्टाचार पर वाकई शिकंजा कसा जाएगा, या फिर एक और ईमानदार कर्मचारी सिस्टम का शिकार बनकर गुमनामी में चला जाएगा?

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