लखनऊ। राजधानी लखनऊ में नगर निगम प्रशासन ने सफाई व्यवस्था से जुड़े 12 हजार कर्मचारियों की पुलिस जांच कराने का निर्णय लिया है। यह जांच कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से काम कर रहे सभी सफाई कर्मियों की होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इनमें कोई बांग्लादेशी या रोहिंग्या नागरिक तो शामिल नहीं है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी पी.के. श्रीवास्तव ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए सभी जोनल सैनेटरी अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर पुलिस सत्यापन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
नगर निगम में पहले भी कई बार यह मामला उठ चुका है कि सफाई और कूड़ा उठान के कार्य में बांग्लादेशी नागरिकों की भागीदारी है। कई बार कागजी कार्रवाई के बाद भी ठोस परिणाम सामने नहीं आए। अब एक बार फिर नगर निगम ने सख्त रुख अपनाते हुए पुलिस सत्यापन के आदेश दिए हैं।
निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक जोनल सैनेटरी अधिकारी अपने क्षेत्र के थानाध्यक्ष और सहायक पुलिस आयुक्त को पत्र भेजकर कार्यदायी संस्थाओं में लगे सभी कर्मचारियों का सत्यापन कराएंगे। रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे नगर आयुक्त के माध्यम से उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा।
नगर निगम प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जांच में यदि किसी संस्था के कर्मचारी बांग्लादेशी पाए जाते हैं, तो संबंधित संस्था के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसमें संस्था को कार्य से हटाने, जुर्माना लगाने, नोटिस जारी करने और काली सूची में डालने जैसी कार्रवाई शामिल होगी।
पिछले वर्ष इंदिरानगर में हुआ था बवाल
29 दिसंबर 2024 को इंदिरा नगर क्षेत्र के चांदन गांव में बांग्लादेशी नागरिकों को लेकर बड़ा विवाद हुआ था। उस समय नगर निगम टीम जब अवैध रूप से कूड़ा उठाने वाले ठेलिया चालकों को पकड़ने पहुंची थी, तो उन्होंने निगम कर्मचारियों से मारपीट की थी। मौके पर तत्कालीन नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह, महापौर सुषमा खर्कवाल और पुलिस अफसर पहुंचे थे। घटना के बाद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी और झोपड़ियों पर बुलडोजर भी चला था।
महापौर सुषमा खर्कवाल ने तब डीएम और पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर अवैध रूप से शहर में बसे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की थी। उन्होंने इंदिरा नगर, शिवाजीपुरम समेत कई वार्ड समितियों की 119 शिकायतों के पत्र भी संलग्न किए थे, जिनमें अवैध झोपड़ियों और गंदगी फैलाने की शिकायत की गई थी।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी पी.के. श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि किन संस्थाओं और कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि लखनऊ को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक है।






