शमशाबाद/फर्रुखाबाद: Shamshabad क्षेत्र के ग्राम संतोषापुर में ग्राम प्रधान के कार्यशैली को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों (Villagers) ने आरोप लगाया है कि ग्राम प्रधान गांव के विकास (development) की अनदेखी कर अपने निजी स्वार्थों को प्राथमिकता दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यही रवैया जारी रहा, तो वे मजबूर होकर प्रशासनिक अधिकारियों के दरबार में न्याय की गुहार लगाएंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार गांवों के विकास को लेकर लगातार योजनाएँ चला रही है और ग्राम विकास निधि के माध्यम से लाखों रुपये उपलब्ध करा रही है। उद्देश्य यह है कि गांव की गलियाँ, सड़कें, नालियाँ और बुनियादी सुविधाएँ बेहतर हों, जिससे गांव की एक नई पहचान बने। लेकिन संतोषापुर में इसके उलट हो रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, यहां ग्राम प्रधान “गांव नहीं, अपना विकास” कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि कृपाल सिंह की दुकान से गांव के अंदर जाने वाले खड़ंजे को ग्राम प्रधान ने खुद उखड़वा दिया। ग्रामीणों के अनुसार, खड़ंजे की ईंटें ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर प्रधान के घर भिजवाई गईं। सूत्रों के अनुसार, करीब दो ट्रॉलियां ईंटें पहले ही ले जाई जा चुकी थीं, और तीसरी ट्रॉली भी प्रधान के घर पहुंच चुकी है।
ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा गांव का विकास तो अब तक नहीं हुआ, लेकिन ग्राम विकास निधि की आड़ में प्रधान का विकास जरूर हो गया है। पहले से बना खड़ंजा तुड़वाकर उसकी ईंटें घर ले जाना सरासर गलत है।” ग्रामीणों में आक्रोश—“विकास की जगह विनाश हो रहा है”
ग्रामीणों ने बताया कि उनका सपना था कि गांव की गलियां पक्की होंगी, नालियाँ बनेंगी, आवागमन सुगम होगा और गांव आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान का रवैया “विकास” की जगह “विनाश” की कहानी लिख रहा है। एक ग्रामीण ने कहा अगर ग्राम प्रधान का यही रवैया रहा तो हम सब मिलकर प्रशासन के उच्च अधिकारियों से शिकायत करेंगे। गांव का हक कोई नहीं खा सकता।”
इस मामले पर ग्राम प्रधान से प्रतिक्रिया पाने के लिए हमारे प्रतिनिधि ने कई बार संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन अपरिहार्य कारणों के चलते संपर्क नहीं हो सका। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि यदि स्थिति नहीं बदली, तो वे सामूहिक रूप से एसडीएम, बीडीओ और जिलाधिकारी के कार्यालय में दस्तक देंगे, ताकि गांव के वास्तविक विकास को रास्ता मिल सके।


