नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष का ऐतिहासिक शुभारंभ बुधवार को राजधानी दिल्ली में भव्य आयोजन के साथ हुआ। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और संघ की राष्ट्र निर्माण यात्रा को समर्पित विशेष स्मारक डाक टिकट व स्मारक सिक्के का लोकार्पण किया। दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में आयोजित इस समारोह में हजारों स्वयंसेवकों, गणमान्य व्यक्तियों और सामाजिक संगठनों की मौजूदगी ने इसे यादगार बना दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह पूरे राष्ट्र का सौभाग्य है कि हमें संघ जैसा संगठन मिला, जिसने अनुशासन, सेवा और राष्ट्रीय एकता की प्रेरणा दी। उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को नमन करते हुए कहा कि शताब्दी वर्ष केवल एक स्मृति नहीं बल्कि समाज को सेवा और समर्पण का संकल्प दोहराने का अवसर है।
आरएसएस, जिसकी नींव 1925 में नागपुर में रखी गई थी, आज देश के सबसे बड़े स्वयंसेवक संगठनों में से एक है। पिछले 100 वर्षों में संघ ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। प्राकृतिक आपदाओं – बाढ़, भूकंप और चक्रवात – में स्वयंसेवकों ने राहत व पुनर्वास कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई। संघ से जुड़े संगठनों ने युवाओं, महिलाओं और किसानों को सशक्त बनाने के साथ-साथ समाज की जड़ों को मजबूत करने का काम किया है।
शताब्दी समारोह के तहत इस वर्ष की विजयदशमी से लेकर वर्ष 2026 की विजयदशमी तक देशभर में विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे। यह वर्ष केवल संघ की उपलब्धियों का उत्सव ही नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा, एकता और सेवा की परंपरा का भी प्रतीक बनेगा। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में, “संघ की सेवा ही भारत की शक्ति है और यही शक्ति आने वाली पीढ़ियों को नई दिशा देगी।”