कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और फेमस बिजनेस मैन रॉबर्ट वाड्रा की सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेशी हुए। यह पेशी संजय भंडारी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुई, जहां अधिकारियों ने उनसे विस्तृत पूछताछ की। ये घोटाला एक पेट्रो-केमिकल प्रोजेक्ट से जुड़ा है। ये प्रोजेक्ट साल 2008 में एक स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) में बनना था। इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा बनाने का काम एक सरकारी कंपनी (PSU) ने सैमसंग इंजीनियरिंग को सौंपा। सैमसंग ने इसके लिए संजय भंडारी की दुबई बेस्ड कंपनी सैंटेक इंटरनेशनल एफजेडसी (Santech International FZC) को हायर किया।
दिसंबर 2008 में सैमसंग को कॉन्ट्रैक्ट मिला। जून 2009 में सैमसंग ने संजय भंडारी की कंपनी को 49,90,000 अमेरिकी डॉलर दिए। उसी महीने संजय भंडारी ने लंदन के ब्रायनस्टन स्क्वायर (Bryanston Square) में एक महंगी प्रॉपर्टी खरीदी।
इस प्रॉपर्टी को वोर्टेक्स प्राइवेट लिमिटेड (Vortex Private Limited) के नाम पर रजिस्टर्ड किया गया, जिसके अकाउंट में सैंटेक ने करीब 1।9 मिलियन पाउंड स्टर्लिंग ट्रांसफर किए। बाद में वोर्टेक्स के सारे शेयर दुबई की एक कंपनी स्काई लाइट इन्वेस्टमेंट्स FZE (Sky Lite Investments FZE) ने खरीद लिए। ये कंपनी सी थंपी के कंट्रोल में है जो रॉबर्ट वाड्रा का करीबी बताया जाता है।
ईडी की जांच में रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप
ईडी (ED) के पास मौजूद ईमेल्स से पता चला है कि संजय भंडारी, समिट चड्ढा (भंडारी के रिश्तेदार), मनोज अरोड़ा और रॉबर्ट वाड्रा के बीच इस प्रॉपर्टी को लेकर बातचीत चल रही थी। वाड्रा इस प्रॉपर्टी की मरम्मत में भी दिलचस्पी दिखा रहे थे, और अपडेट मांग रहे थे।
ईडी का कहना है कि संजय भंडारी ने इस प्रॉपर्टी पर अतिरिक्त 65,900 पाउंड खर्च किए, लेकिन बाद में इसे फिर से 1।9 मिलियन पाउंड में मेफेयर एफजेडई शारजाह (Mayfair FZE Sharjah) को बेच दिया।
ईडी का मानना है कि ये पूरा मामला राउंड ट्रिपिंग का है। यानि कि नकली कॉन्ट्रैक्ट्स बनाए गए। घूस को कंसल्टेंसी फीस दिखाया गया। पैसों से विदेश में प्रॉपर्टी खरीदी गई। फिर प्रॉपर्टी बेचकर पैसा वापस वैध दिखाया गया।