तथागत आयुर्वेदिक उपचार केंद्र के वैद्य के.पी. सिंह शाक्य का गंभीर दावा— रिफाइंड खाद्य तेल बना बीमारियों की जड़
कायमगंज/फर्रुखाबाद: इस आधुनिक युग में जहां स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, वहीं रसोईघर में इस्तेमाल होने वाला रिफाइंड तेल एक ऐसा ज़हर बन चुका है, जो लाखों लोगों को धीरे-धीरे मौत की ओर धकेल रहा है। तथागत आयुर्वेदिक उपचार केंद्र के वैद्य के.पी. सिंह शाक्य ने चेताया है कि रिफाइंड खाद्य तेल डीएनए-आरएनए को क्षति पहुँचाने से लेकर कैंसर, लकवा, दिल की बीमारी, शुगर, बीपी, किडनी व लिवर फेल्योर तक का बड़ा कारण बन चुका है।
उन्होंने बताया कि रिफाइंड तेल को बनाने की प्रक्रिया में कास्टिक सोडा, तेजाब, सल्फर, ब्लीचिंग एजेंट और हाइड्रोजन गैस जैसी घातक रसायनों का प्रयोग किया जाता है, जिससे यह एक जहर में परिवर्तित हो जाता है। इतना ही नहीं, इसमें कई बार टायर बनाने वाले कचरे या गाड़ियों से निकला काला आयल भी मिलाया जाता है।
सोयाबीन तेल धोखा है: वैद्य शाक्य के अनुसार, सोयाबीन कोई तिलहन नहीं बल्कि दलहन है, जिससे तेल नहीं निकाला जा सकता। जो सोयाबीन तेल के नाम पर बेचा जा रहा है, वह दरअसल पाम आयल है— जो धीमी मौत का ज़रिया है।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि सरकारी नीतियों के दबाव में बड़ी तेल कंपनियों को 40% तक पाम आयल मिलाना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे अमेरिका को भारी आर्थिक लाभ और भारत को बीमारियाँ मिल रही हैं।
क्या है समाधान? वैद्य शाक्य कहते हैं कि केवल कच्चीघानी तेल जैसे सरसों, मूंगफली, नारियल, तिल और बादाम से निकला तेल ही शरीर को निरोग और दीर्घायु रख सकता है। लकड़ी की घानी से निकला तेल ही वास्तविक “कच्चीघानी” कहलाता है, न कि मोटर से निकाला गया। अगर हम अभी भी नहीं जागे तो हमारे शरीर में ज़हर भरता चला जाएगा और आने वाली पीढ़ियाँ अकाल मृत्यु का शिकार होंगी।