– छांगुर की काली कमाई और राजनीतिक संरक्षण का कच्चा-चिट्ठा उजागर
लखनऊ: अवैध धर्मांतरण और राजनीतिक (political) सांठगांठ के आरोपों से घिरे जलालुद्दीन उर्फ छांगुर (Changur) की करीबी नसरीन उर्फ नीतू के कमरे से बरामद हुई ‘लाल डायरी’ कई बड़े राजनीतिक चेहरों और अधिकारियों की नींद उड़ा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, डायरी में ऐसे नेताओं के नाम दर्ज हैं, जिन्हें विधानसभा चुनावों में मोटी रकम दी गई थी। छांगुर की अतीक अहमद के साथ पुरानी तस्वीरें पहले ही वायरल हो चुकी हैं, और अब यह डायरी उसके राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण की परतें खोलने को तैयार है।
जांच एजेंसियों को पता चला है कि छांगुर चुनाव प्रचार में नेताओं पर पानी की तरह पैसा बहाता था। इसके एवज में वह उनका समर्थन और संरक्षण पाता था। पुलिस अधिकारियों को जलसों में मुख्य अतिथि बनाकर बुलाना, उनके लिए मंच तैयार करना—यह सब कुछ छांगुर की पहुंच और पैसों की ताकत का हिस्सा था। डायरी में कई राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम और उन्हें दी गई रकम का ब्योरा दर्ज है। आशंका है कि इस डायरी से जुड़े कई नामचीन चेहरे जल्द ही जांच के दायरे में आ सकते हैं।
जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर का एक पूर्व आईपीएस अधिकारी से गहरा संबंध रहा है। धर्मांतरण के इस पूरे नेटवर्क को स्थानीय प्रशासन और पुलिस का संरक्षण भी प्राप्त था। छांगुर को इतना आत्मविश्वास था कि वह खुद को अजेय समझने लगा था। बताते चलें कि नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले में छांगुर की पिछले 10 वर्षों से मजबूत पकड़ थी। चाहे लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, छांगुर हर चुनाव में फंडिंग से लेकर अनुयायियों के वोट ट्रांसफर तक में सक्रिय रहता था। अब जबकि ‘लाल डायरी’ की जांच तेज हो रही है, माना जा रहा है कि राजनीति और अफसरशाही की कई परतें खुलेंगी, और कई प्रभावशाली चेहरे जांच एजेंसियों के निशाने पर आ सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, एटीएस की जांच में नीतू उर्फ नसरीन के कमरे से बरामद लाल डायरी में ऐसे राजनेताओं के भी नाम मिले हैं, जिन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में छांगुर ने मोटी रकम दी थी, चर्चा है कि उतरौला से एक पूर्व प्रत्याशी को छांगुर ने 90 लाख रुपये दिए थे, लेकिन वो चुनाव नहीं जीत सके, इस बार वो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी को 2027 के विधानसभा चुनाव में उतरौला से चुनाव मैदान में उतारने के लिए जमीन तैयार कर रहा था।