रायबरेली। समाजवादी पार्टी (सपा) में अंदरूनी मतभेद एक बार फिर सतह पर आ गए हैं। पार्टी के बागी विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. मनोज कुमार पांडे ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है। मामला शुभांशु शुक्ला को बधाई न देने से शुरू हुआ और बात जातिगत राजनीति और वरिष्ठों के अपमान तक जा पहुंची।
डॉ. मनोज कुमार पांडे ने सीधे नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका निशाना स्पष्ट रूप से अखिलेश यादव की ओर था।
उन्होंने कहा—
“देश के जवानों, साहित्यकारों और कवियों पर न तो कोई टिप्पणी करनी चाहिए, न ही उनके प्रति जातिगत द्वेष दिखाना चाहिए।”
पंडित शुभांशु शुक्ला की सफलता पर अखिलेश यादव द्वारा बधाई न दिए जाने को लेकर मनोज पांडे ने नाराजगी जताई और इसे ‘सवर्णों के प्रति द्वेष भावना’ से जोड़ा।
शुभांशु शुक्ला, एक युवा कवि और सामाजिक कार्यकर्ता, हाल ही में एक राष्ट्रीय मंच पर सम्मानित हुए।
उनके सम्मान की खबर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुप्पी साध ली, जबकि अन्य दलों के नेताओं ने उन्हें बधाई दी।
इस मुद्दे को लेकर सपा के ही विधायक डॉ. मनोज पांडे, जो पहले भी पार्टी की नीतियों से असहमति जता चुके हैं, ने फेसबुक पोस्ट और स्थानीय मीडिया में बयान देकर नाराजगी जाहिर है।
“हम जिनके लिए लड़ते हैं, उनका सम्मान नहीं करेंगे तो जनता हमें माफ नहीं करेगी।”
“आज जरूरत है, सच्चे समाजवाद की, न कि वोट बैंक की जातिगत राजनीति की।”
“पार्टी यदि सवर्ण समाज को दरकिनार करेगी, तो यह आत्मघाती कदम होगा।”
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान न केवल पार्टी के भीतर एक खास वर्ग की उपेक्षा का संकेत देता है, बल्कि आगामी चुनावों से पहले सपा की रणनीतिक स्थिति पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
डॉ. मनोज पांडे का यह तंज समाजवादी पार्टी के भीतर जातिगत संतुलन और नेतृत्व शैली को लेकर असंतोष की एक और परत उजागर करता है। अगर पार्टी समय रहते इस असंतोष को नहीं संभालती, तो आगामी चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।