नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को सर्वसम्मति से रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। केंद्रीय बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने तीन दिन चली एमपीसी बैठक के बाद इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अनुकूल मानसून, कम मुद्रास्फीति और मौद्रिक नरमी से इस वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि की संभावना मजबूत बनी हुई है।
एमपीसी की बैठक में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जीएसटी में सुधारों से महंगाई पर सकारात्मक असर पड़ेगा और इससे उपभोग और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मौद्रिक नीति रुख को ‘तटस्थ’ पर अपरिवर्तित रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधियां गतिमान रहेंगी, हालांकि टैरिफ संबंधित घटनाक्रम से दूसरी छमाही में विकास दर में कमी की आशंका है।
मल्होत्रा ने कहा कि जीएसटी और अन्य सुधार आर्थिक विकास पर बाहरी कारकों के प्रभाव को कुछ हद तक कम करेंगे। साथ ही, मजबूत रेमिटेंस के कारण चालू खाता घाटा टिकाऊ रहने की उम्मीद है।
आरबीआई ने इस साल फरवरी से नीतिगत दरों में कुल 100 आधार अंकों की कटौती की है। फरवरी और अप्रैल में 25-25 आधार अंकों की कटौती की गई और जून में 50 आधार अंकों की कटौती के बाद रेपो दर 5.5 प्रतिशत पर आ गई। इस दौरान खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) 4 प्रतिशत से नीचे रही। खाद्य कीमतों में कमी और अनुकूल आधार प्रभाव के चलते अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति छह साल के निचले स्तर 2.07 प्रतिशत पर पहुंच गई।
गवर्नर ने कहा कि सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के आसपास, 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ बनी रहे।