फर्रुखाबाद। शहर के रोडवेज बस स्टैंड के निकट स्थित रामलीला मैदान—जिसे स्थानीय लोग रामलीला गड्ढा के नाम से जानते हैं—आज बदहाल हालत में पड़ा है। अवैध कब्जों, जलभराव और गंदगी के अंबार ने क्षेत्रीय लोगों की परेशानी बढ़ा दी है, जबकि वर्षों पहले स्वीकृत किया गया सुंदरीकरण का बड़ा प्रोजेक्ट अब फाइलों में धूल खा रहा है। प्रशासनिक उदासीनता और कब्जाधारियों की हठ ने मिलकर इस महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर को उपेक्षा की कगार पर पहुंचा दिया है।
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2019 में रामलीला गड्ढा के सुंदरीकरण के लिए 87 लाख रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था। शासन से स्वीकृति मिलने के साथ ही पहली किस्त के रूप में 25 लाख रुपये भी अवमुक्त कर दिए गए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने स्थल का निरीक्षण किया था और सिटी मजिस्ट्रेट को भूमि पर कब्जाधारियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे। लेकिन डीएम सिंह के तबादले के बाद पूरी कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई और आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
करीब 7–8 एकड़ में फैली यह भूमि रामलीला मंडल कमेटी के अधीन है। नालियों का गंदा पानी सीधे इसी गड्ढे में भर जाता है, जिससे सालभर पानी जमा रहता है और गंदगी का साम्राज्य बना रहता है। कमेटी की ओर से अवैध कब्जों को लेकर कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन कार्रवाई न होने से कब्जाधारी दिन पर दिन मनमानी बढ़ाते जा रहे हैं।
रामलीला मंडल कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष लालजी टंडन ने बताया कि जलभराव और कब्जों के कारण हर वर्ष रामलीला का मंचन क्रिश्चियन कॉलेज के मैदान में कराना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सुंदरीकरण के तहत जलनिकासी की पाइपलाइन, पंप और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए जल निगम ने एस्टीमेट भी तैयार कर लिया था। लेकिन प्रशासनिक बदलाव के बाद यह परियोजना बिना किसी प्रगति के रुक गई।
स्थानीय नागरिकों और कमेटी सदस्यों का कहना है कि रामलीला गड्ढा न केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र है, बल्कि शहर के इतिहास और पहचान का भी हिस्सा रहा है। ऐसे में इसका उध्दार अत्यंत आवश्यक है। लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि सुंदरीकरण की प्रक्रिया को तुरंत पुनः शुरू कराया जाए, अवैध कब्जों को हटाया जाए और गंदगी व जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए ताकि यह मैदान फिर से अपनी पुरानी गरिमा प्राप्त कर सके।





