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Tuesday, August 26, 2025

गर्भवती महिलाओं की पीड़ा पर डॉ के. बॉस की बेरुखी

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  • लोहिया अस्पताल में मरीजों की अनदेखी, आधा घंटा आकर लौट जाती हैं डॉक्टर

फर्रुखाबाद। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के महिला एवं प्रसूति विभाग की चिकित्सक डॉ के. बॉस इन दिनों लापरवाही और मरीजों की अनदेखी के चलते सुर्खियों में हैं। रोजाना अस्पताल आने-जाने का कोई निश्चित समय नहीं है और जब आती भी हैं तो महज़ आधा या एक घंटा रुककर मरीजों को देखकर चली जाती हैं। इससे दूर-दराज से आने वाली गर्भवती महिलाएं, लाचार मरीज और गरीब तबके के लोग बेहद परेशान हैं।

हैरानी की बात यह है कि शासन के नियमों के अनुसार सुबह 8:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक डॉक्टर की ओपीडी में मौजूदगी अनिवार्य है, लेकिन डॉ बॉस की इस मनमानी पर अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से आंखें मूंदे बैठा है। आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारियों से मिलीभगत के चलते डॉ बॉस को खुली छूट मिली हुई है, जिससे वह अपनी ड्यूटी को हल्के में ले रही हैं।

आशा और पीड़ा के साथ आती हैं महिलाएं, मायूसी लेकर लौट जाती हैं

लोहिया अस्पताल में रोज़ सैकड़ों गर्भवती महिलाएं अपनी जांच और इलाज के लिए घंटों लाइन में खड़ी रहती हैं। लेकिन जब डॉक्टर समय से नहीं आतीं या जल्दी चली जाती हैं तो मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है। कुछ महिलाएं तो पूरा दिन इंतजार करती हैं और डॉक्टर की अनुपस्थिति से भावुक होकर रोती हुई घर वापस जाती हैं।

गर्मी में, थकान में और दर्द के बीच एक आस लिए अस्पताल आने वाली इन महिलाओं को जब चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती तो उनके चेहरे पर हताशा और असहायता की झलक साफ दिखती है। हर रोज उनके विभाग के बाहर लंबी कतारें लगी रहती हैं लेकिन डॉक्टर की लापरवाही के कारण इनका समय, पैसा और उम्मीद सब बर्बाद हो जाता है।

कब जागेगा प्रशासन?

डॉ के. बॉस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौन हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्हें गरीबों की पीड़ा से कोई सरोकार ही नहीं।

सवाल यह है कि आखिर इन गर्भवती और बीमार महिलाओं की सुध कौन लेगा?

क्या डॉ के. बॉस पर कोई कार्रवाई होगी या लापरवाही का यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा?

यह मामला न केवल नैतिक लापरवाही का है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की साख पर भी सवाल उठाता है।

जरूरत है कि प्रशासन इस पर संज्ञान ले और तत्काल प्रभाव से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि मरीजों को समय पर इलाज मिल सके और उन्हें भटकना न पड़े।

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