अयोध्याl राम जन्मभूमि पर पांच सदियों से संजोया गया सपना मंगलवार को एक बार फिर संपूर्ण वैभव के साथ देश के सामने उजागर हुआ। रामनगरी अयोध्या में ध्वजारोहण के ऐतिहासिक क्षणों ने न सिर्फ स्थानीय जनमानस, बल्कि पूरे देश को गर्व से गौरवान्वित कर दिया। इसकी शुरुआत 2019 में आए सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले से हुई, जिसने करोड़ों रामभक्तों की उम्मीदों को नई दिशा दी। इसके बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमिपूजन और शिलान्यास संपन्न किया गया, जिसने भव्य राम मंदिर निर्माण की मजबूत नींव रखी। आधुनिक इंजीनियरिंग, पारंपरिक शिल्पकला और देशभर से जुटी श्रद्धा के बल पर मंदिर निर्माण तीव्र गति से आगे बढ़ता रहा और 22 जनवरी 2024 को सम्पन्न हुए प्राण-प्रतिष्ठा समारोह ने अयोध्या की धरती को दिव्य उत्सव में बदल दिया। इस दिन पहली बार रामलला की दिव्य मूर्ति के दर्शन पूरी दुनिया ने साक्षात महसूस किए और पूरे अयोध्या में दीपोत्सव जैसा माहौल बन गया। कार्यक्रम के साक्षी बने गणेश कुमार अग्रवाल, महेश कुमार अग्रवाल और तारुन क्षेत्र के ब्रह्मादीन भारती ने कहा कि अयोध्या आज केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि एक नए सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन चुकी है, जहां सदियों की मनोकामना अब पूर्ण हो चुकी है। मंगलवार को साकेत महाविद्यालय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के बाद राम मंदिर परिसर में शिखर ध्वजारोहण कार्यक्रम संपन्न हुआ। परिसर स्थित अन्य मंदिरों पर भी ध्वज फहराए गए। अतिथियों ने कहा कि शिलान्यास से लेकर प्राण-प्रतिष्ठा और अब ध्वजारोहण तक की यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए अयोध्या के स्वर्णिम अध्याय के रूप में अंकित रहेगी। समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और जय श्रीराम के उद्घोष से संपूर्ण वातावरण गुंजायमान हो उठा। ध्वजारोहण के साथ ही यह घोषणा भी कर दी गई कि राम मंदिर निर्माण कार्य औपचारिक रूप से पूर्ण हो चुका है। मंदिर परिसर में नया गर्भगृह, भव्य मंडप, विस्तृत परिक्रमा पथ और अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियां अब पूरी हो चुकी हैं। वहीं अयोध्या शहर में रामपथ, जनकपुर मार्ग, लक्ष्मणपुरी मार्ग, चौड़ी सड़कों, सौंदर्यीकरण और आधुनिक प्रकाश व्यवस्था ने शहर का स्वरूप ही बदल दिया है। सरयू तट पर विकसित नए घाटों और पर्यटन सुविधाओं ने भी अयोध्या को नई पहचान दी है। ध्वजारोहण इस विशाल यात्रा के सफल समापन का प्रतीक बनकर सामने आया, जिसने सदियों के संघर्ष को सिद्धि में परिवर्तित कर दिया और रामनगरी को विश्व पटल पर नए वैभव के साथ स्थापित कर दिया है। इसी बीच, अयोध्या ने एक बार फिर भारतीय संस्कृति के मूल मंत्र ‘अतिथि देवो भव’ की मिसाल पेश की। देश के कोने-कोने से आए संतों, भक्तों और अतिथियों का स्वागत जिस आत्मीयता से किया गया, उसने सभी के मन में गहरी छाप छोड़ी। वरिष्ठ संतों का स्वागत पारंपरिक वस्त्र, अक्षत, चंदन और चरण-पूजन से किया गया। श्रद्धालुओं को रामलला का प्रसाद और स्मृति स्वरूप रामलला की मूर्ति भी भेंट की गई। पूरे शहर में ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो कलियुग में त्रेतायुग सजीव हो उठा हो। अतिथि स्वागत में लगे संघ के नगर कार्यवाह राहुल सिंह ने कहा कि रामलला के भक्तों की सेवा पाना जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है, और हर आगंतुक की श्रद्धा और प्रेम के साथ सेवा करना हमारा कर्तव्य है।





