नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जूता फेंकने के मामले में वकील राकेश किशोर ने मंगलवार को बयान दिया कि उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी प्रतिक्रिया सीजेआई द्वारा की गई टिप्पणी के खिलाफ थी, जिसमें उन्होंने महसूस किया कि उनका सनातन धर्म अपमानित हुआ।
राकेश किशोर ने कहा कि उनका यह कदम व्यक्तिगत नहीं बल्कि धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए था। उन्होंने न्यायपालिका की गरिमा का सम्मान किया, लेकिन कहा कि जब धार्मिक भावनाओं का अपमान होता है, तो उसका विरोध करना जरूरी है। इस बयान ने मीडिया और सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला न्यायपालिका की गरिमा और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की सीमा के बीच के संवेदनशील संतुलन को उजागर करता है। कोर्ट ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आगामी सुनवाई में आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।


